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    Noida: 17 लाख से अधिक लोगों ने कराई पैथोलॉजी जांच, रिपोर्ट लेने में 1 लाख ने नहीं दिखाई दिलचस्पी

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 03:58 AM (IST)

    नोएडा के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त पैथोलॉजी जांच का दुरुपयोग हो रहा है। अप्रैल 2024 से अगस्त 2025 तक लाखों मरीजों ने जांच कराई लेकिन बड़ी संख्या में लोगों ने रिपोर्ट नहीं ली। अस्पताल ने डिजिटल सुविधा भी शुरू की है फिर भी कई मरीजों के संपर्क नंबर गलत हैं। डॉक्टर अनावश्यक जांच से बचने और रिपोर्ट लेने की अपील कर रहे हैं।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई प्रतीकात्मक तस्वीर। (जागरण)

    सुमित शिशोदिया, नोएडा। शासन से मिलने वाली पैथोलॉजी जांच की निश्शुल्क सुविधा मरीज के साथ अस्पतालों में आने वाले उनके तीमारदारों के लिए शौक का हिस्सा बनती दिख रही है। हालत यह है कि जिला अस्पताल प्रबंधन को जांच के लिए आर्थिक दबाव झेलना पड़ रहा है।

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    अप्रैल 2024 से अगस्त 2025 तक 17.25 लाख मरीजों ने सीबीसी, इएसआर, बीटी-सीटी, टाइफायड, ब्लड शुगर, एलएफटी, केएफटी, लिपिड प्रोफाइल, सीरोलाजी, हार्मोंस, यूरिन व प्रेग्नेंसी समेत 130 से ज्यादा जांच कराकर लाभ लिया। एक दिन बाद एक लाख से ज्यादा लोगों ने अस्पताल से रिपोर्ट लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।

    अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों की सुविधा के लिए डिजिटल व्यवस्था भी चालू की है, जिसमें मरीजों के फोन नंबर से विभिन्न इंटरनेट मीडिया ऐप पर रिपोर्ट भेज दी जाती है।

    वहीं, 45 हजार से ज्यादा मरीजों ने पंजीकरण काउंटर पर फोन नंबर दर्ज ही नहीं कराए। या फिर उनके ओपीडी पेपर पर संपर्क नंबर अधूरे रहते हैं।

    जिला अस्पताल में अप्रैल 2024 में 48 हजार से ज्यादा नए व पुराने मरीजों ने ओपीडी में पंजीकरण कराया, जबकि पैथोलॉजी जांच की सुविधा 76 हजार से ज्यादा मरीज व तीमारदारों ने ली।

    2024 में सितंबर तक नए मरीज 62 हजार तक पहुंच गए। इसी तरह पैथोलॉजी जांच बढ़कर 1.21 लाख तक हो गई। अब लैब में विभिन्न तरह की जांच में प्रबंधन को 300 से दो हजार रुपये तक का खर्चा वहन करना पड़ता है।

    जांच में पैथोलॉजी इंचार्ज व स्टाफ की मेहनत भी लगती है, पर मरीजों द्वारा रिपोर्ट न लेने पर स्वास्थ्य विभाग को आर्थिक झटका झेलना पड़ता है।

    कुछ खास बातें

    • 9.84 लाख से ज्यादा ने अप्रैल से दिसंबर 2024 तक कराई जांच।
    • 6.34 मरीजों ने पेपर रिपोर्ट एकत्रित की।
    • 2.78 लाख मरीजों ने डिजिटल रिपोर्ट ली।
    • 70 हजार मरीजों के फोन नंबर गलत थे या वो नहीं आए।
    • 7.40 लाख मरीजों की जनवरी से अगस्त 2025 तक हुई जांच।
    • 4.66 लाख से ज्यादा मरीजों ने पेपर रिपोर्ट ली।
    • 2.45 लाख ने फोन पर ऐप से डिजिटल रिपोर्ट ली।
    • 29.128 हजार मरीजों रिपोर्ट लेने नहीं पहुंचे या उनके फोन नंबर गलत मिले।

    कई बार लोग पंजीकरण कराकर रूटिन तौर पर निश्शुल्क जांच करा लेते हैं, फिर रिपोर्ट लेने नहीं पहुंचते हैं। सभी से अपील है कि बीमार होने पर डाक्टर के परामर्श पर ही जांच कराए। अस्पताल में आर्थिक नुकसान न होने पर शहरवासियों के लिए अन्य सुविधाएं भी बढ़ाने में मदद मिलेगी। - डॉ. अजय राणा, कार्यवाहक सीएमएस, जिला अस्पताल