Cyber Fraud: कम लागत से तैयार होता है साइबर ठगी का सेटअप, लोग झेल रहे इसकी मार; जानिए बचाव के तरीके
साइबर ठग फर्जी खातों में रकम ट्रांसफर कराते हैं। यह खाते गरीब-मजदूरों के खुलवाए होते हैं। जिनको कुछ रुपये का भुगतान ठगों द्वारा किया जाता है। एक खाते को कुुछ दिन के लिए ही उपयोग किया जाता है। खाते से मोटी रकम विदेश भेजी जाती है। वहां से क्रिप्टो या गेमिंग में निवेश कर यहां पर हवाला के जरिए अलग-अलग शहरों में पैसा पहुंचाया जाता है।

जागरण संवाददाता, नोएडा। साइबर ठगी से जागरूकता ही बचाव है। हर व्यक्ति को साइबर ठगी से बचाव के तरीकों की जानकारी होना आवश्यक है। लोगाें को जागरुक करने के लिए दैनिक जागरण ऑनलाइन लुटेरा समाचारीय श्रृंखला चला रहा है।
इसी के तहत शनिवार को सेक्टर-74 की ग्रैंड अजनारा हेरिटेज सोसायटी में जागरुकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। साइबर थाना प्रभारी निरीक्षक विजय कुमार गौतम ने साइबर ठगों से सतर्क रहने और बचाव के उपाय बताए। लोगों ने दैनिक जागरण के इस पहल की सराहना की।
बता दें आठ हजार में एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआइ) और 24 घंटों में ऐप तैयार कर ठगी का सेटअप तैयार कर लेते हैं। कम निवेश में सेटअप तैयार कर साइबर ठगों और इनसे प्रभावित पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है।
विजय कुमार गौतम ने बताया कि आज तक किसी भी प्रदेश की या कोई भी जांच एजेंसी ने व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट नहीं किया है और न ही इस तरह से किया जा सकता है। आपके पास इस तरह से कोई कॉल आते हैं तो बिना देरी के उनकी मंशा को पहचानें। देरी होने पर आप साइबर ठगी का शिकार हो सकते हैं।
निवेश के नाम पर ट्रेडिंग एप्लीकेशन पर सबसे अधिक साइबर ठगी हो रहीं हैं। यह एक पोर्टफोलियो है। जो क्रिप्टो या फारेस्ट मार्केट की बेवसाइट पर जो ग्राफ नजर आएगा असल में वह ग्राफ ठगों द्वारा उनके माध्यम से तैयार की गई एप्लीकेशन पर नजर आता है। यह सब एपीआइ के उपयोग से होता है।
साइबर ठग गूगल मार्केटिंग का करते हैं इस्तेमाल
ट्रेडिंग और फारेस्ट में निवेश के लिए लोग सबसे पहले गूगल पर सर्च करते हैं। सर्च करने पर जो बेवसाइट सबसे ऊपर नजर आती है उस पर अधिक भरोसा करते हैं। गूगूल मार्केटिंग और प्रमोशन के जरिए ठग अपनी बेवसाइट को टाप रैंक पर रखते हैं। यही वजह से है कि गूगल में सर्च करने पर सबसे पहले उनकी बेवसाइट नजर आएगी।
छोटा मुनाफा लेकर उठाना पड़ता है बड़ा नुकसान
विजय कुमार गौतम ने बताया निवेश के बाद साइबर ठग छोटा मुनाफा देते हैं। ऐसा कई बार किया जाता है। लोगों का भरोसा जीतते हैं और मोटा निवेश कराते हैं। यह निवेश लोग बैंक खातों में भुगतान कर करते हैं।
निवेश की गई रकम बेवसाइट और ऐप पर तेजी सब बढ़ती है, लेकिन असल में निवेशकर्ता इसको निकाल नहीं पाता। ठग अलग-अलग बहानों से और निवेश कराते हैं। लंबे समय तक उनके जाल में फंसे रहने के बाद लोगों को ठगी की जानकारी होती है तब तक उनको मोटी चपत लग चुकी होती है।
घबराने तो आपका दिमाग पर होगा ठगों का नियंत्रण
साइबर ठगों द्वारा की गई कॉल से कई बार आपको गलत कार्यों में संलिप्त होना या परिचित का कहीं फंस जाने की सूचना देकर डराया जाएगा। आमतौर पर यह कॉल सुबह के वक्त आतीं हैं। साइबर ठगों के डराने पर अगर आप भयभीत होते हैं तो आपके दिमाग पर उनका नियंत्रण होगा। दिमाग पर नियंत्रण होने पर साइबर ठग आपसे जो कराना चाहते हैं वह करा सकते हैं।
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