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    Noida News: जैविक खेती में बुलंदी पर गांव बंबावड़, उत्पादन भी बढ़ा; घर पर ही आ जाते हैं खरीदार

    By Abhishek TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 13 May 2022 10:55 AM (IST)

    Organic Farming in Greater Noida कृषि विभाग के मुताबिक प्रति एकड़ गेहूं व धान उत्पादन 16 से 17 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से होना चाहिए लेकिन जैविक ख ...और पढ़ें

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    जैविक खेती में बुलंदी पर गांव बंबावड़, उत्पादन भी बढ़ा

    ग्रेटर नोएडा [अजब सिंह भाटी]। दादरी के बंबावड़ गांव में किसानों ने खेती करने की नई राह दिखाई है। साढ़े चार सौ में से चार सौ किसान जैविक खेती कर रहे हैं। प्रशासन ने भी बंबावड़ को जैविक गांव बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार और जिला कृषि रक्षा अधिकारी प्रदीप कुमार यादव ने चार दिन पहले किसान पाठशाला आयोजित कर शेष किसानों को भी जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया।

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    किसानों को एकजुट कर किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) का गठन भी कराया जा रहा है। इसके बाद किसान न केवल आसानी से शासन की योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे बल्कि एफपीओ किसानों को खेती के साथ व्यापार से जोड़ने में कारगर होगा। 20 किसान ऐसे हैं जो कड़ी मेहनत के बूते सहभागी गारंटी प्रणाली (पीजीएस) इंडिया से जैविक खेती करने का प्रमाण पत्र भी हासिल कर चुके हैं। अधिकारियों का दावा है कि यह प्रदेश का पहला ऐसा गांव है, जहां इतने ज्यादा किसान जैविक खेती कर रहे हैं।

    जैविक खेती से उत्पादन में हुआ इजाफा

    गांव में 30 हेक्टेयर खेती की जमीन है। विभाग के मुताबिक प्रति एकड़ गेहूं व धान उत्पादन 16 से 17 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से होना चाहिए, लेकिन जैविक खेती कर किसान गेहूं व धान उत्पादन 19 से 20 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन कर रहे हैं। कृषि विभाग का दावा है कि मृदा प्रशिक्षण में अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा बंबावड़ गांव की जमीन में आर्गेनिक मैटर (ओसी) ज्यादा पाया गया है।

    अब तो गांव में ही आ जाते हैं खरीदार

    हालांकि सब्जी व दलहन की पैदावार किसान अपनी जरूरत के हिसाब से ही कर रहे हैं। अपनी फसल को बेचने के लिए किसानों को मंडियों में भी नहीं जाना पड़ता है। इस संबंध में किसान राजकरण ने बताया कि आसपास के गांवों से ही गेहूं, धान, सब्जी आदि को खरीदने के लिए लोग गांव पहुंच जाते हैं। उनके उत्पाद महंगी दर से खरीदे जा रहे हैं।

    उन्होंने बताया कि कुछ कारोबारी भी किसानों से जुड़ गए हैं। फसल उत्पादन में लागत भी कम आती है। उन्हें रासायनिक दवा, खाद आदि खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है। ग्रामीणों के स्वास्थ्य में भी सुधार आया है। बाल विकास विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में गांव में अतिकुपोषित बच्चों की संख्या नौ थी, लेकिन मौजूदा समय में महज तीन बच्चे कुपोषण की श्रेणी में है। गांव में एक भी धात्री महिला नहीं है।

    15 साल पहले ओमवीर ने की थी जैविक खेती की शुरुआत

    किसान ओमवीर नागर ने 15 साल पहले जैविक खेती की शुरुआत की थी। उनको काफी अधिक मुनाफा होता जब अन्य किसानों ने देखा, तो वे भी ऐसा ही करने लगे। दरअसल, ओमवीर नागर चर्चा में तब आए जब उनके द्वारा समेकित कृषि प्रणाली को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए नरेन्द्र मोदी ने सराहा था। इतना ही नहीं, तब गुजरात सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया था। देश और राज्य स्तर पर भी वे प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार हासिल कर चुके हैं।