नोएडा में फर्जी 'इंटरनेशनल पुलिस स्टेशन' मामले में चौंकाने वाले खुलासे, बाप-बेटे चला रहे थे ठगी का नेटवर्क
नोएडा पुलिस ने सेक्टर 70 में फर्जी इंटरनेशनल पुलिस एंड क्राइम इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में सरगना बिभास चंद्र अधिकारी और उसके बेटे सहित छह लोग गिरफ्तार किए गए हैं। ये लोग समानांतर फर्जी संगठन चलाकर वेबसाइट के माध्यम से लोगों को ठग रहे थे। पुलिस मामले की जांच कर रही है और पीड़ितों का पता लगाने का प्रयास कर रही है।

जागरण संवाददाता, नोएडा। इंटरनेशनल पुलिस एंड क्राइम इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (आइपीसीआइबी) नाम से सेक्टर 70 में फर्जी दफ्तर खोलने वाला सरगना बिभास चंद्र अधिकारी और बेटा अराग्य नेशनल ब्यूरो ऑफ सोशल इन्वेस्टिगेशन एंड सोशल जस्टिस (एनबीएसआइएसजे) के नाम से समानांतर फर्जी इंटरनेशनल कानून प्रवर्तन संगठन चला रहे थे।
संगठन की वेबसाइट पर एक-दूसरे को मान्यता देकर लोगों को ठग रहे थे। अभी कितने लोगों से ठगी की है और कितनी रकम वसूली है। पुलिस इसका पता लगाने में जुटी है।
कौन है बिभास अधिकारी?
बिभाष पूर्व टीएमसी नेता, पूर्व ब्लाक अध्यक्ष, डिग्री कॉलेज संचालक, बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले का आरोपित व ठाकुर अनुकूल चंद्र सत्संग मिशन साधनपीठ ट्रस्ट का अध्यक्ष भी है।
बिभाष मवेशी तस्करी में आरोपित बीरभूम के तृणमूल नेता अनुब्रत मंडल का करीबी माना जाता था। मिली जानकारी के मुताबिक, खादी की आड़ में बिभाष कोलकाता व वीरभूम में बीएड और डीएलएड कालेज का संचालन कर रहा है। 2023 में शिक्षक भर्ती घोटोले में उसने दलाल की भूमिका निभाई थी।
सीबीआई व ईडी की जांच में उसका भी नाम सामने आया था। मामला शांत होने पर एलएलबी पास बेटे अराग्य को साथ लेकर फर्जी इंटरनेशनल कानून प्रवर्तन संगठन की आड़ में काम करने लगे। लोगों को ठगने की योजना बनाई।
कैसे करते थे ठगी?
एसीपी वर्णिका सिंह ने बताया कि दोनों ने तीन-चार साल पहले ही विदेशी पुलिस और सामाजिक न्याय से मिलते झुलते दो संगठन आइपीसीआइबी व एनबीएसआइएसजे बनाए। दोनों ने वेबसाइट को एक-दूसरे संगठन का लोगो लगाकर मान्यता दी। जहां बिभाष विदेश व पुलिस से जुड़े काम कराता था। वहीं बेटा वेबसाइट के माध्यम से लोगों की शिकायत लेकर न्याय दिलाने का दावा करता था।
जांच में सामने आया है कि गिरोह एनबीएसआइएसजे के लेटरहेड का उपयोग कर स्थानीय संपत्ति विवादों में नकली सम्मन पत्र भेजते थे। इससे लोगों पर दबाव बनाया जा सके। संगठन के पास जांच प्राधिकरण, सरकारी संस्थाओं संग सहयोगात्मक जुड़ाव, सलाहकार, परिचालन, कानून ढ़ाचा और अंतरराष्ट्रीय मान्यता जैसे अधिकार होने का दावा करता था।
चार बैंक खातों की जांच
गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि वह पहले लोगों को संगठन से जोड़कर पंजीकरण कराते थे। डोनेशन के नाम पर एक लाख रुपये तक रकम लेते थे। सामान्य जानकारी से लेकर सबूत तक पंजीकरण कराने के दौरान ही लेते थे।
पीड़ितों की शिकायत सुनकर समझौता या पुलिस से समाधान कराने का माडल प्रस्तुत करते थे। इस तरह से बंगाल समेत देश के भोलेभाले लोगों को झांसे में लेते। पुलिस इस तरह के पीड़ितों का पता करने में जुटी है। आरोपितों से मिले चार बैंक खातों में प्राप्त रकम और मनी लॉन्ड्रिंग होने जैसी आशंका पर भी जांच कर रही है।
कार पर इंटरपोल का बोर्ड लगाने पर कार्रवाई
बिभाष के बेटे और ड्राइवर पर मार्च 2025 में रांपुरहाट थाना में गाड़ी पर इंटरपोल पुलिस का बोर्ड लगाकर घूमने पर मुकदमा दर्ज है।
पुलिस जांच में सामने आए तथ्य
- सीबीआई व इडी की जांच में भी आ चुका बिभाष, बना चुका है राजनीतिक पार्टी।
- धार्मिक पक्ष- अनुकूल ठाकुर का ऋत्विक, ठाकुर अनुकूल चंद्र सत्संग मिशन साधनपीठ ट्रस्ट का अध्यक्ष, कृष्णपुर में आश्रम।
- सीबीआई कार्रवाई: अप्रैल 2023 में घर व आश्रम पर छापे, भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी से संबंधित दस्तावेज बरामद, नवंबर 2023 में बीएड कालेज प्रवेश व भर्ती सूचियों को लेकर पूछताछ, फरवरी 2024 में निजी बीएड और डीएलएड कालेजों में भर्ती भ्रष्टाचार पर बयान दर्ज।
- ईडी कार्रवाई: अक्टूबर 2022 में बंगाल टीचर्स ट्रेनिंग कालेज एसोसिएशन से जुड़े एक फ्लैट को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सील किया। राजनीतिक पार्टी: टीएमसी का पूर्व नेता, अप्रैल 2023 में आल इंडिया आर्य महासभा नाम से नई राजनीतिक पार्टी बनाई।
क्या है पूरा मामला?
गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट फेज तीन थाना पुलिस ने सेक्टर 70 से आइबी व विदेश पुलिस के नाम पर चलते फर्जी दफ्तर का रविवार को पर्दाफाश किया था। मौके से बंगाल के रहने वाले बिभाष चंद्र अधिकारी व उसके पुत्र अराग्य अधिकारी, पिंटूपाल, बाबुल चंद्र मंडल, समापदमल, आशीष कुमार को गिरफ्तार किया था।

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