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    लॉकडाउन में भी चल रहा था फर्जी काल सेंटर का धंधा, 7 शातिर हुए गिरफ्तार

    By Prateek KumarEdited By:
    Updated: Fri, 08 May 2020 01:54 PM (IST)

    Crime in Lockdown in Noida फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाले सात लोगों को गिरफ्तार कर नोएडा पुलिस इनसे पूछताछ कर रही है। ...और पढ़ें

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    लॉकडाउन में भी चल रहा था फर्जी काल सेंटर का धंधा, 7 शातिर हुए गिरफ्तार

    नोएडा [रजनी कान्त मिश्र]। कोतवाली सेक्टर 39 नोएडा पुलिस ने 7 लोगों को (लॉकडाउन का उल्लंघन कर फर्जी कॉल सेन्टर के माध्यम से लोगों के साथ धोखाधडी कर अवैध धन अर्जित करने वाला गिरोह) गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान जुगल, निखिल, तौफीक कजानी, हिमेश, एडवर्डगोम्स, सैफ सैय्यद व गणेश के रूप में हुई। इनके पांच साथी अभी फरार हैं।

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    ये सामान हुए बरामद

    पकड़े गए आरोपितों के कब्जे से पुलिस ने फर्जी कॉल सेन्टर चलाने में प्रयोग किये जा रहे 25 डेस्कटाप, 23 सीपीयू, की-बोर्ड, माउस, 25 हेड फोन, 11 स्विच, 2 ब्राडबैन्ड, 2 वाई-फाई राउटर, 75 छोटी बड़ी केवल, एक आधार कार्ड, एक पासपोर्ट, 2 पासबुक, एक आईकार्ड स्टेट बैंक आॅफ कुवैत व एक मोटर साईकिल को बरामद किया है।

    सात लोग हुए गिरफ्तार

    जानकारी के अनुसार कोतवाली सेक्टर 39 पुलिस ने सूचना के आधार पर दूर संचार विभाग के सहायक निदेशक डिपार्टमेन्ट आफ टेली कम्यूनिकेशन(एमटीएनएल) टेलीफोन एक्सचेन्ज नेहरू प्लेस नई दिल्ली को साथ लेकर बृहस्पतिवार को सेक्टर 105 में दबिश दी।

    धोखाधड़ी से करते थे पैसे की ठगी

    इस दौरान वहां से 7 लोगों को एक शातिर गिरोह फर्जी कॉल सेन्टर चलाकर लोगों के साथ धोखाधडी कर अवैध धन अर्जित करते हुए गिरफ्तार किया गया। जिसके कब्जे से फर्जी कॉल सेन्टर चलाने में हेतु प्रयुक्त किये गये उपकरण बरामद हुये।

    ऐसे करते थे जुर्म

    आरोपितों से पूछताछ में पता लगा इन सब का एक गिरोह है जिसका सरगना धवल उर्फ देवेन्द्र है। यह यहां पर एक फर्जी कॉल सेन्टर चलाकर लोगों के साथ धोखाधडी कर अवैध धन अर्जित करते हैं। पूछताछ में पता लगा कि यह लोग शाफ्ट डायलर साफ्टवेयर के माध्यम से विदेशों में वीओआईपी. कॉल करते थे तथा उसको डराते थे। कॉल कर यह बताते थे कि आपके सोशल सिक्योरिटी नम्बर (आधार कार्ड की तरह ) से कोई अपराध किया गया है जैसे ड्रग्स ट्रैफिकिंग , मनी लाडरिंग व वाहन का अपराध में प्रयोग, इसके बाद अपने आपको विभिन्न पुलिस एजेन्सियों से बताते हुये उनसे जुर्माने के रूप मे धनराशि वसूल करते थे। इसी बहाने उनके बैंक एकाउन्ट/क्रेडिट कार्ड की डिटेल हासिल कर लेते थे।

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