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    Noida Dengue Cases: गर्भवतियों के लिए ज्यादा खतरनाक होता है डेंगू, नोएडा में मरीजों की संख्या बढ़कर हुई 260

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 10:53 AM (IST)

    नोएडा में डेंगू के मामलों में वृद्धि के साथ विशेषज्ञों ने गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सतर्क रहने की सलाह दी है। चिकित्सकों के अनुसार डेंगू गर्भवतियों के लिए अधिक खतरनाक हो सकता है जिससे गर्भस्थ शिशु को खतरा हो सकता है। बुखार होने पर तत्काल चिकित्सा सलाह लेने की सलाह दी गई है। जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या में कमी आई है।

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    गर्भवती महिलाओं को डेंगू से अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, नोएडा। डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच विशेषज्ञों ने गर्भवती महिलाओं को विशेषतौर पर अलर्ट किया है। चिकित्सकों का कहना है कि सामान्य मरीजों की अपेक्षा गर्भवतियों के लिए एडीज मच्छर का असर ज्यादा खतरनाक होता है।

    संक्रमण से गर्भस्थ शिशु की जान खतरे में पड़ने के साथ-साथ रक्तस्राव की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। जिला मलेरिया विभाग के अनुसार, जनपद में सोमवार को डेंगू मरीजों की संख्या बढ़कर 260 पहुंच गई है।

    स्त्री एवं प्रसूता रोग विशेषज्ञ और जिला अस्पताल की कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. अजय राणा का कहना है कि सामान्य लोगों की तुलना में गर्भवती महिलाओं के लिए डेंगू ज्यादा जटिल होता है। गर्भवतियों में खून की मात्रा बढ़ जाती है। उनमें खून की क्लाटिंग भी सामान्य से तेज होती है।

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    चुनौती इस बात की रहती है कि बीमारी में संक्रमण फैलने पर हाइपरटेंशन, बीपी के साथ-साथ प्लेटलेट्स तेजी से घटने के चलते इम्यूनिटी पावर न के बराबर हो जाती है। विशेषज्ञ के मुताबिक, प्लेटलेट्स गिरने के अलावा लिवर फंक्शन में भी बदलाव हो जाता है।

    ऐसे कई कारणों से गर्भवतियों के लिए यह बीमारी जानलेवा बन जाती है। उन्होंने गर्भवतियों को जागरूक कर बताया कि यदि किसी भी तरह का बुखार हो तो तुरंत वरिष्ठ चिकित्सक से इलाज शुरू कर दें। चूंकि, गर्भवती को बुखार होने पर गर्भस्थ शिशु में भी संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। तेज बुखार की वजह से प्रीटर्म-मैच्योर प्रसव होने की दिक्कत बन सकती है।

    इसके अलावा डेंगू के अन्य लक्षण भी गर्भवतियों को गंभीर स्थिति में डाल लेते हैं। उनके मुताबिक, जिला अस्पताल में डेंगू मरीजों की संख्या कम हो गई है। पहले अस्पताल में रोजाना पांच से आठ मरीज भर्ती रहते थे। अब मरीजों की संख्या एक या दो रह गई है।