Dadri Lynching: आठ साल बाद भी बिसाहड़ा जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया इकलाख का परिवार, बताया अच्छा नहीं गांव का माहौल
28 सितंबर 2015 को बिसाहड़ा गांव में गो हत्या करने की अफवाह के कारण भीड़ ने इकलाख की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। उसकी बेटी शाइस्ता व बेटे दानिश को भी पीटकर घायल कर दिया था। घटना के आठ साल बाद इकलाख की मां असगरी का बुधवार को इंतकाल हो गया। वह दादरी में अपने बेटे अफजल के यहां रह रही थीं।

राजीव वशिष्ठ, दादरी। बिसाहड़ा गांव के इकलाख की 28 सितंबर 2015 को गो हत्या के आरोप में गांव के युवाओं ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। बुधवार को इकलाख की मां का इंतकाल होने पर परिवार के सदस्य अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दादरी पहुंचे।
घटना के आठ साल बाद भी परिवार बिसाहड़ा में अंतिम संस्कार की हिम्मत नहीं जुटा सका। दादरी के कटहेरा रोड स्थित कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार किया।
भीड़ ने पीट-पीटकर की थी हत्या
बता दें कि 28 सितंबर 2015 को बिसाहड़ा गांव में गो हत्या करने की अफवाह के कारण भीड़ ने इकलाख की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। उसकी बेटी शाइस्ता व बेटे दानिश को भी पीटकर घायल कर दिया था। घटना के आठ साल बाद इकलाख की मां असगरी का बुधवार को इंतकाल हो गया।
वह दादरी में अपने बेटे अफजल के यहां रह रही थीं। इंतकाल की सूचना मिलने पर इकलाख का बेटा सरताज, दानिश, बेटी शाइस्ता व पत्नी दादरी पहुंचे। इकलाख के भाई जान मोहम्मद ने बताया कि उनकी मां असगरी ने बिसाहड़ा गांव में 75 साल का समय बिताया था। भाइयों के साथ मेरा बचपना भी वहीं बीता।
अनुकूल नहीं गांव का माहौल
गांव में जाने को मन करता है, पर इकलाख की हत्या के बाद गांव का माहौल अनुकूल नहीं है। परिवार के लोगों की गांव जाने की हिम्मत नहीं है। इसलिए मां असगरी का अंतिम संस्कार मजबूरन दादरी में करना पड़ा।
गांव का मकान निशानी के तौर रह गया है। मकान में देख-रेख न होने से जंगली घास ऊग आई है। अगर लंबे समय तक जाना नहीं हुआ तो मकान को बेचना पड़ सकता है।
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