बचपन में बच्चों के जबड़े में चोट लगना पड़ सकता है भारी, इन लक्षणों को नहीं करें नजरअंदाज
ग्रेटर नोएडा में बच्चों के जबड़े की चोटें टीएमजे एंकीलोसिस का कारण बन सकती हैं जिससे जबड़े और सिर की हड्डी जुड़ जाती है। जिम्स अस्पताल ने सात बच्चों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। मुंह खुलने में कठिनाई खाने-पीने में परेशानी और चेहरे के टेढ़ेपन जैसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। डॉ. संदीप कुमार पांडे ने चोट लगने पर तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लेने की सलाह दी है।

आशीष चौरसिया, ग्रेटर नोएडा। अक्सर खेल-कूद के दौरान बच्चों के जबड़े में लगने वाली चोट कई बार उनके जीवन पर भारी पड़ जाती है। चोट को अभिभावक और डॉक्टर हल्की समझकर सामान्य उपचार कर देते हैं। समय आगे बढ़ने के साथ बच्चों का मुंह खुलना कम हो जाता है या फिर बिल्कुल बंद हो जाता है। चेहरे में टेढ़ापन आ जाता है। यह टीएमजे एंकीलोसिस का खतरा बढ़ाता है।
चोट आने के कारण बच्चों के जबड़े और सिर की हड्डी में जुड़ाव हो जाता है। मुंह न खुलने के कारण बच्चे ही कुछ खा -पी नहीं पाते हैं। सामान्य ढंग से बोलने और हंसने में भी परेशानी होती है।
सिर और जबड़े की हड्डी में जोड़ आने के कारण एक तरफ की हड्डी बढ़ जाती है। इससे चेहरे में टेढ़ापन आ जाता है। टेढ़ापन के कारण अन्य लोगों के बीच में वह अपने को असहज महसूस करते हैं।
राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के दंत रोग विभाग की ओर से ऐसे सात मामलों को ठीक किया गया है। इनमें मुंह नहीं खुलने और टेढ़ापन आने के कारण बोलने, हंसने, खाने-पीने की समस्या थी। पीड़ित बच्चों में देखा गया कि इनका मनोबल भी टूटा हुआ था। सर्जरी में जिम्स के एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डा. नाजिया और उनकी टीम ने अहम योगदान दिया।
बच्चों में टीएमजे एंकीलोसिस के यह भी होते हैं कारण
- बच्चे अपना दर्द स्पष्ट रूप से नहीं बता पाते
- एक्स-रे में फ्रैक्चर हर बार साफ नजर नहीं आता
- स्वजनों में जानकारी का अभाव व कई बार डाक्टरों का शक न करना
इन लक्षणों को नहीं करें नजरअंदाज
- मुंह का कम या बिल्कुल न खुलना
- खाने में कठिनाई
- शारीरिक विकास प्रभावित
- चेहरे में टेढ़ापन आना
- बोलने में समस्या
- नींद की समस्या - (सोते समय सांस रुकना, जोरदार खर्राटे) यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है
केस-1
आठ वर्षीय बच्चे का मुंह बहुत कम खुलता था और निचला जबड़ा छोटा था। सर्जरी और रिब ग्राफ्ट के बाद अब बच्चा सामान्य रूप से मुंह खोल पा रहा है। ठोस भोजन खा रहा है और उसकी जबड़े की ग्रोथ सही दिशा में हो रही है।
केस-2
छह साल की बच्ची बिल्कुल भी मुंह नहीं खोल पा रही थी। माता-पिता की सबसे बड़ी चिंता यही थी कि क्या उनकी बेटी कभी सामान्य जीवन जी पाएगी। सर्जरी और फिजियोथेरपी के बाद अब सामान्य तरीके से मुंह खुल रहा है। वह आराम से खाती और साफ बोल पाती है।
केस-3
पांच वर्षीय बच्चे के चेहरे में असमानता और खाने में कठिनाई थी। सर्जरी और रिब ग्राफ्ट के बाद अब उसका जबड़ा सामान्य रूप से काम कर रहा है और वह अपने उम्र के अन्य बच्चों की तरह बढ़ रहा है।
बच्चों के जबड़े में चोट लगती है तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। चोट लगने के कुछ समय तक बच्चों के चेहरे पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। सामान्य तरीकों में से कोई भी फर्क दिखता है तो उसे तुरंत किसी विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।
- डॉ. संदीप कुमार पांडे, दंत रोग विभागाध्यक्ष और मैक्सिलोफेशियल सर्जन, जिम्स
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