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    Noida News: विभाग ही कुपोषण का बना शिकार, उधारी के मकान में चल रहे सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्र

    By Jagran NewsEdited By: Monu Kumar Jha
    Updated: Fri, 08 Nov 2024 05:19 PM (IST)

    गौतम बुद्ध नगर जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत खस्ता है। विभाग के पास खुद के नाममात्र के भवन हैं जबकि अधिकांश केंद्र उधार के भवनों में चल रहे हैं। इन भवनों में तय मानक के अनुसार सुविधाएं और एरिया नहीं है जिससे बच्चों किशोरियों और गर्भवती महिलाओं को परेशानी होती है। उधारी के मकान में 950 आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है।

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    उधारी के भवन में संचालित किए जा रहे 950 आंगनबाड़ी केंद्र। फाइल फोटो

    गजेंद्र पांडेय, ग्रेटर नोएडा। गौतमबुद्धनगर जिले के बच्चों को पोषित करने वाला बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग भवनों के मामले में खुद ही कुपोषण का शिकार है। विभिन्न विभागों से उधारी में भवन लेकर करीब 950 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं।

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    इन भवनों में तय मानक के अनुसार सुविधांए व एरिया नहीं है। इसके चलते इन केंद्रों में पंजीकृत बच्चों, किशोरियों व गर्भवती महिलाओं को परेशान होना पड़ता है। जबकि विभाग के खुद के नाममात्र के भवन हैं, जो कई वर्ष पहले बने थे।

    जिले में कुल 1108 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इनमें करीब 80 हजार बच्चे पंजीकृत हैं। फिलहाल विभाग के पास अपने खुद के करीब 150 भवन ही हैं। जिनमें आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। जबकि उधारी के भवन यानी सरकारी प्राइमरी स्कूलों के भवनों में लगभग 700 आंगनबाड़ी केंद्र, पंचायत भवनों में 80 केंद्र और करीब 170 आंगनबाड़ी केंद्र अथारिटी से मिले उधारी के भवनों में संचालित हो रहे हैं।

    विभागीय सूत्रों का कहना है कि अथॉरिटी के भवनों के केंद्र कई बार इधर से उधर करने पड़ते हैं। इसकी वजह अथॉरिटी के अफसर कोई न कोई जरूरी कार्य बता कर केंद्र हटाने का फरमान जारी कर देते हैं।

    इसी तरह सरकारी प्राइमरी स्कूलों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में तो सुविधाएं उपलब्ध हैं। लेकिन वहां पर खुद स्कूलों के बच्चे ही पर्याप्त संख्या में पढ़ते हैं। ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत बच्चों को परेशान होना पड़ता है। इसके साथ ही अव्यवस्थाओं का भी बोलबाला रहता है।

    तीन हजार किराया, यहां तो भवन मिलना लगभग असंभव

    विभागीय अफसरों के मुताबिक, जिन आंगनबाड़ी केंद्रों के खुद के भवन नहीं हैं। उनको किराए पर भवन लेने के लिए तीन हजार बजट मिलता है। फिलहाल गौमबुद्धनगर में तीन हजार रुपए में आंगनबाड़ी केंद्र के लिए तय मानक के अनुसार भवन मिलना संभव नहीं है। यदि कहीं पर मिल भी जाए तो रसोई, शौचालय, बारामदा समेत अन्य सुविधांए नहीं होंगी।

    आंगनबाड़ी केंद्रों में यह होनी चाहिए सुविधाएं

    आंगनबाड़ी केंद्र के भवन में कमरा, बारामदा व रसोईघर, दो शौचालय, खेल का मैदान, खेल सामग्री, खिलौने, पीने के पानी की व्यवस्था, बिजली कनेक्शन समेत अन्य मूलभूत सुविधाएं।

    बच्चों, किशोरी व गर्भवती महिलाओं को ये मिलनी हैं सेवाएं

    छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का टीकाकरण व अनुपूरक पोषण, गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव पूर्व देखभाल और टीकाकरण, अनुपूरक पोषण, 15-45 वर्ष के आयु वर्ग की सभी किशोरी व महिलाओं के लिए पोषण और स्वास्थय शिक्षा की सुविधा। 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों को अनौपचारिक विद्यालयपूर्व शिक्षा प्रदान करना।

    गौतमबुद्धनगर जिले में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के अपने करीब 150 भवन ही हैं, जिनमें आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। यह सभी भवन कई वर्ष पहले बने थे। विभागीय भवनों को निर्माण मनरेगा के सहयोग से बनते हैं। अपने जिले में मनरेगा का अंश नहीं है। इसलिए यहां पर मनरेगा मजदूर नहीं मिल पाते। इसलिए विभाग से भवन बनाने के लिए राशि नहीं आती।

    पूनम तिवारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, गौतमबुद्धनगर

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