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    नोएडा: फायर स्टेशन कम एडवांस ट्रेनिंग सेंटर से विभाग बनेगा मजबूत- अरुण कुमार सिंह

    By Geetarjun GautamEdited By:
    Updated: Sun, 17 Apr 2022 08:30 PM (IST)

    दैनिक जागरण संवाददाता मोहम्मद बिलाल ने मुख्य अग्निशमन अधिकारी अरुण कुमार सिंह से बात की। इस दौरान उन्होंने जिले में आग लगने वाली घटनाओं से निपटने आग बुझाने और लोगों को दिए जाने वाले सुझावों के बारे में पूछा।

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    नोएडा के मुख्य अग्निशमन अधिकारी अरुण कुमार सिंह।

    नोएडा। गाजियाबाद गर्मी बढ़ने के साथ ही जिले में आगजनी में इजाफा होने लगा है। प्रतिदिन ट्रांसफार्मर, पुराने-जर्जर तारों व एसी में शार्ट सर्किट के कारण आग लगने की विभिन्न घटनाएं सामने आ रही हैं। सीमित संसाधनों एवं कर्मचारियों से दमकल विभाग अग्नि दुर्घटनाओं से निपटने की जुगत लगाता नजर आ रहा हैं। शहर की कई बहुमंजिला इमारतों में आग से निपटने के इंतजाम पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में अगर भविष्य में बड़ी आग लगती है तो उसे बुझाना मुश्किल होगा।

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    मुख्य अग्निशमन अधिकारी अरुण कुमार सिंह का कहना है कि गौतमबुद्धनगर के पुलिस आयुक्त आलोक सिंह के अथक प्रयास से 72 मीटर ऊंची हाइड्रोलिक प्लेटफार्म की शासन से मंजूरी मिल चुकी है। इसे शीघ्र ही क्रय किया जाना है। अग्नि दुर्घटनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए फायर स्टेशन कम एडवांस ट्रेनिंग सेंटर बनाने का भी प्रयास हो रहा हैं। दैनिक जागरण संवाददाता मोहम्मद बिलाल ने अग्नि दुर्घटनाओं से निपटने सहित विभिन्न मुद्दों पर मुख्य अग्निशमन अधिकारी से बातचीत की। पेश है बातचीत के कुछ अंश...

    गर्मी में अग्नि दुर्घटनाएं क्यों बढ़ जाती हैं?

    गर्मी में बिजली की खपत बढ़ने के कारण जर्जर और पुराने तारों पर ओवरलोडिंग और शार्ट सर्किट की संभावना बढ़ जाती है। तापमान में वृद्धि के कारण वस्तुओं के ज्वलनांक बिंदु तक ताप आसानी से पहुंच जाता है।

    जिले में कितने नए फायर स्टेशन बनाए जाने हैं?

    जिले में अभी नौ फायर स्टेशन संचालित हैं। दादरी और जेवर में अस्थायी फायर स्टेशन हैं। दोनों फायर स्टेशनों को स्थायी कराने का प्रयास है। इसके बाद नोएडा एक्सटेंशन में एक नया फायर स्टेशन बनाया जाएगा।

    दमकल विभाग में संसाधनों की कमी को कैसे दूर किया जाएगा?

    वर्तमान में विभाग के पास 18 दमकल गाड़ियों के साथ आग लगने पर इसे बुझाने के लिए जरूरी उपकरण उपलब्ध हैं। पुलिस आयुक्त के प्रयास से 72 मीटर ऊंची हाइड्रोलिक प्लेटफार्म को खरीदने का कार्य लगभग अंतिम चरण में हैं। जिले के तीनों विकास प्राधिकरण की ओर से छह-छह करोड़ रुपये दिए जाने हैं। इस वर्ष विभाग को यह हाइड्रोलिक प्लेटफार्म मिलने की संभावना है। पुलिस आयुक्त द्वारा फायर सर्विस के आधुनिकीकरण के लिए विभिन्न उपकरणों का प्रस्ताव भी भेजा गया है।

    कर्मचारियों की कमी को दूर करने को क्या प्रयास किए जा रहे हैं?

    जिले में स्वीकृति के सापेक्ष लगभग 50 प्रतिशत दमकलकर्मियों की उपलब्धता है। डीजी फायर सर्विस निर्देशन में स्वीकृत पद भरने के लिए फायर सर्विस मुख्यालय व उत्तर प्रदेश शासन में कार्रवाई प्रचलित है। जल्द स्वीकृति के सापेक्ष स्टाफ मिलने की संभावना है।

    रिस्पांस टाइम को कम करने को क्या प्रयास हैं?

    अभी ग्रामीण क्षेत्र में शहरी क्षेत्र की तुलना में आग लगने पर रिस्पांस टाइम अधिक है। जिसका मुख्य कारण कच्चे व संकरे रास्ते तथा सुदूर क्षेत्रों में लगने वाली आग है। वहीं शहरी क्षेत्र में व्यस्त समय में ट्रैफिक दबाव व कभी-कभी स्पष्ट पता न होने के कारण घटनास्थल पर पहुंचने में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है। इसके लिए त्वरित गति से सूचना प्राप्त करने के लिए पुलिस महानिदेशक फायर सर्विस अविनाश चंद्र द्वारा डायल-112 से पूरे प्रदेश के अग्निशमनकर्मियों को प्रशिक्षित कराया जा रहा है। सूचना प्राप्ति के लिए बेहतर संसाधनों की उपलब्धता भी कराई जा रही है।

    बहुमंजिला इमारतों में आग से निपटने के क्या इंतजाम हैं?

    विभाग के पास अभी 42 मीटर ऊंची हाइड्रोलिक प्लेटफार्म है। शहर में बहुमंजिला इमारतों की ऊंचाई लगातार बढ़ती जा रही है। इसके लिए 72 मीटर ऊंचे हाइड्रोलिक प्लेटफार्म की उपलब्धता हेतु कार्रवाई प्रचलित है। वहीं शहर की अधिकतम ऊंचाई वाले भवन के बराबर ऊंचाई का हाइड्रोलिक प्लेटफार्म मिलना संभव नहीं है। इसलिए यह प्रयास रहता है कि आग से निपटने के लिए दमकल की गाड़ियों के बजाय इमारत में स्थापित फायर उपकरणों से ही इसे काबू किया जाए। इसके लिए भवन स्वामी को फायर उपकरण दुरुस्त रखने के साथ ही इसे समय समय पर चलाकर जांच करने के निर्देश दिए जाते हैं।

    क्या कारण है कि फायर एनओसी हासिल करने में लोगों को परेशानी होती है ?

    फायर एनओसी के लिए सारी प्रक्रिया आनलाइन है। 15 दिन के भीतर प्रतिष्ठान का निरीक्षण करके इसका निस्तारण कराया जाता है। प्रतिष्ठान में अवैध निर्माण, एनओसी के लिए जरूरी दस्तावेज अपलोड न होने व अग्निशमन उपकरणों का रखरखाव ठीक न होने के कारण ही लोगों को एनओसी प्राप्त करने में समस्या आती है। जिन भवनों में व्यवस्थाएं सही होती हैं, उनके मानचित्र आदि दस्तावेज अपलोड होते हैं, उन्हें कोई समस्या नहीं आती।

    अग्नि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं ?

    विभाग आग से बचाव के साथ दैवीय आपदा को लेकर लोगों को प्रशिक्षित करता है। स्कूल, कालेज, औद्योगिक इकाइयों, अस्पताल, माल और कार्यालय आदि परिसरों में कार्यशाला आयोजित करके आग से बचाव के बारे में जानकारी दी जाती है। इसके अतिरिक्त झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में भी लोगों को आग से बचाव के लिए जागरूक करते हुए क्या करें और क्या न करें के महत्वपूर्ण बिंदुओं से अवगत कराया जाता है। विभाग की ओर से फायर स्टेशन कम एडवांस ट्रेनिंग स्टेशन खोलने की तैयारी की जा रही है। जहां फायर कर्मियों के साथ ही औद्योगिक इकाइयों, बहुमंजिला इमारत, माल आदि में काम करने वाले वाले लोगों को आग से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस वर्ष अबतक 87 माकड्रिल कराई गई हैं। 14 से 20 अप्रैल तक अग्निशमन सेवा सप्ताह मनाया जा रहा है।

    शहर के सरकारी और अर्धसरकारी अस्पताल बिना फायर एनओसी कैसे चल रहे हैं?

    अग्निशमन उपकरणों की व्यवस्था अपर्याप्त पाए जाने वाले अस्पताल के स्वामियों को उनकी कमियों के संबंध में अवगत कराते हुए नोटिस दिया गया है। सीएमओ को ऐसे अस्पतालों की सूची प्रदान की गई है जिन्हें फायर विभाग की एनओसी दी गई है।

    फसलों में आग लगने से रोकने के क्या उपाए हैं?

    खेत-खलिहाल आदि के पास लापरवाहीपूर्वक बीड़ी-सिगरेट पीने या फसल-खलिहान के ऊपर से गुजर रहे ढीले बिजली के तारों में तेज हवा के कारण स्पार्किंग होने से फसलों में आग लग जाती है। ढीले बिजली के तारों को सही कराने हेतु संबंधित अधिकारियों से अनुरोध किया जा रहा है।

    इस बढ़ती गर्मी में अग्नि दुर्घटनाओं से निपटने के लिए आप लोगों को क्या सुझाव देंगे?

    फायर फाइटिंग सिस्टम व पंप को हमेशा आटो मोड पर रखें। जिससे आग लगने पर यह स्वत: ही कार्य कर सकें। पंप के मैनुअल मोड पर रहने से न केवल पानी का प्रेशर बनने में देरी लगती है, अपितु स्प्रिंकलर व हाइड्रेंट भी काम नहीं कर पाते हैं, जिससे कार्यशील उपकरण भी घटना के समय अकार्यशील हो जाते हैं। आग बुझाने का प्राथमिक ज्ञान, जैसे- फायर एक्सटिंग्यूशर चलाना, हौज रील चलाना, मैनुअल अलार्म संचालित करने की जानकारी होनी चाहिए। यदि आग को देखते ही उसे बुझाने का प्रयास किया जाए तो एक एक्सटिंगयूशर से बुझ सकती है। घर में जर्जर, कटे और पुराने तारों के साथ ढीले साकेट को बदल लें। गैस सिलेंडर का इस्तेमाल न होने पर उसका मेन वाल्व बंद रखे। बहुमंजिला इमारतों में सीढ़ियों को हमेशा खाली रखे।