अतीत के आइने से: दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा में दिन में व्यापार, रात को होता था प्रचार
Lok Sabha Elections चांदनी चाैक लोकसभा का अधिकांश क्षेत्र संकरी गलियों वाला है। यहां पर प्रत्येक गली में कम से कम दो-दो हजार वोट है। ऐसे में रात में पोस्टर लगाना प्रत्येक गली में प्रत्याशी के लिए जनसंपर्क किया जाता था। ऐसे में रात को जब दुकानें बंद हो जाती व्यापारी फुर्सत होते तब चुनावी की रणनीति पर काम होता था।
कुंदन तिवारी, नोएडा। दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा में करीब 4.5 लाख मतदाता थे। चुनाव का प्रचार करना सबसे चुनौती पूर्ण था। दिन में व्यापारी अपने कारोबार में व्यस्त होते है, क्योंकि क्षेत्र की सदर बाजार, बल्लीमारन, अजमेरी व कश्मीरी गेट, चांदनी चौक, चावड़ी बाजार, नई सड़क में करीब 27 लाख से अधिक लोगों की भीड़ होती थी।
ऐसे में प्रत्याशी के लिए जनसंपर्क करना सबसे मुश्किल काम था, क्योंकि देश भर से लोग यहां खरीदारी के लिए आते है। चांदनी चौक कारोबारी कमल कुमार ने बताया कि पूरी लोकसभा का अधिकांश क्षेत्र संकरी गलियों वाला है। यहां पर प्रत्येक गली में कम से कम दो-दो हजार वोट है। ऐसे में रात में पोस्टर लगाना, प्रत्येक गली में प्रत्याशी के लिए जनसंपर्क किया जाता था।
गलियों में रात-रात भर लगाए जाते थे पोस्टर
ऐसे में रात को जब दुकानें बंद हो जाती, व्यापारी फुर्सत होते तब चुनावी की रणनीति पर काम होता था। ऐसे में लाखों पल्लेदार से संपर्क के लिए रात रात भर संकरी गलियों में पोस्टर लगाने और मतदाताओं से बातचीत का प्रयास किया जाता था। चूंकि प्रत्येक गली में कम से कम दो-दो हजार वोटर होते थे।
ऐसे में सबसे रात भर में सबसे संपर्क करना भी किसी चुनौती से कम नहीं था। ऐसे में जिस समय लोग आराम करते थे, उसी समय चुनाव की रणनीति पर काम शुरू किया जाता था।
ये भी पढ़ें-
पोलिंग के दौरान मतों का आंकलन करना बोता था आसान
इस दौरान लोगों से संपर्क कर कितने लोग मतदान करेंगे, चुनाव के दौरान कौन कौन से लोग मौजूद है, कितने लोग बाहर जा चुके है। इसको सूचीबद्ध करने का काम किया जाता था, जिससे पोलिंग के दौरान मतों का आंकलन करना आसान होता था।
फर्जी मतदान होने से रोका जा सके। चूंकि मुस्लिम बाहुल क्षेत्र होने के नाते यहां पर महिला वोटरों के माध्यम से फर्जी मतदान की आशंका अधिक होती थी। इसलिए सिर्फ पर्ची से नहीं, बल्कि राशन कार्ड भी साथ लाने के लिए मतदाता को पोलिंग बूथ पर बुलाया जाता था। इससे पोलिंग पर किसी भी प्रकार से विवाद से बचा जा सके।