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Election 2024: हाथी को रास नहीं आई गौतमबुद्ध नगर की हवा, इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन की भी होगी परीक्षा

गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर सबसे मजबूत माने जाने वाली बसपा को अब कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इस बार यहां सपा-कांग्रेस गठबंधन की नए सिरे से परीक्षा होगी। पिछले दो चुनाव में सपा और कांग्रेस की भी देखने को मिली है जबकि भाजपा ने दो चुनाव में ही 28 प्रतिशत मत बढ़ाने में सफलता हासिल की है।

By Ajay Chauhan Edited By: Abhishek Tiwari Published: Wed, 20 Mar 2024 02:12 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2024 02:12 PM (IST)
Election 2024: हाथी को रास नहीं आई गौतमबुद्ध नगर की हवा

अजय चौहान, नोएडा। गौतमबुद्ध संसदीय क्षेत्र राजनीतिक अखाड़े में बसपा के पहलवानों की चुनौती कभी सबसे मजबूत मानी जाती थी, लेकिन पिछले दस साल में शहरीकरण की हवा लगी तो हाथी की सेहत चुनाव दर चुनाव बिगड़ती चली गई थी।

अब हालत यह है कि अब बसपा अपने घर ही उठने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही है, लेकिन मतदाताओं का साथ नहीं मिलने से स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। ऐसे ही स्थिति पिछले दो चुनाव में सपा और कांग्रेस की भी देखने को मिली है, जबकि भाजपा ने दो चुनाव में ही 28 प्रतिशत मत बढ़ाने में सफलता हासिल की है।

इस बार BJP और रालोद एक साथ

इस बार भाजपा जहां रालोद के समर्थन से और मजबूती के साथ मैदान में उतरी है। वहीं सपा कांग्रेस के साथ गठबंधन करके भाजपा को चुनौती दे रही है। ऐसे में बसपा भी अपने घर में हाथी सेहत सुधारने के लिए पूरी ताकत झोंकने की रणनीति बना रही है। यानी इस बार गौतमबुद्ध नगर के अखाड़े में मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है।

सपा-कांग्रेस गठबंधन की भी होगी परीक्षा

देखना यह होगा कि बसपा अपनी खोई जमीन हासिल करती है या फिर भाजपा उसे एक बार फिर बुरी तरह पटखनी देने में सफल होती है। सपा-कांग्रेस के गठबंधन की भी इस बार नए सिरे से परीक्षा होगी। खुर्जा से अलग होकर 2008 में अस्तित्व में आई गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट की पहचान बसपा सुप्रीमो मायावती के गृह जनपद के रूप में रही है।

चुनाव दर चुनाव बढ़ रहा BJP का मत प्रतिशत

एक समय यहां के राजनीतिक परिदृश्य में भी इसका प्रभाव रहा है, लेकिन बीते चुनावों में भाजपा ने ने इसमें दखल दी है। चुनाव दर चुनाव भाजपा का मत प्रतिशत बढ़ रहा है। पिछले दो चुनाव में ही भाजपा का मत प्रतिशत 31.08 से बढ़कर 59.64 प्रतिशत तक पहुंच गया है। 2009 में यह सीट बसपा के सुरेंद्र नागर ने जीती थी, जो अब भाजपा के पाले में आ चुके हैं। उस समय मुकाबला बेहद रोचक रहा था।

भाजपा के डॉ. महेश शर्मा को 31.08 प्रतिशत मत ही मिले थे, जबकि सुरेंद्र नागर ने 33.24 प्रतिशत मत हासिल कर यह मुकाबला महज 15,709 मतों से जीता था। 2014 में भाजपा के महेश शर्मा 50 प्रतिशत वोट पाकर जीत दर्ज करने में सफल रहे थे। इसके बाद 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 59.64 प्रतिशत पहुंच गया। महेश शर्मा ने बसपा प्रत्याशी सतवीर नागर को 3,36,922 वोटों से हराया था।

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सपा की ऐसी रही स्थिति

सपा की बात करें तो 2009 में पार्टी का मत प्रतिशत 16.05 प्रतिशत था। 1,16,230 मत मिले थे। 2014 में बढ़कर 26.04 प्रतिशत हो गया। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में सीट बसपा के हिस्से में आई थी। उनके संयुक्त प्रत्याशी को 35.46 प्रतिशत मत मिले।

कांग्रेस की बात करें तो 2009 में पार्टी को 15.73 प्रतिशत मत मिले। 2014 में पार्टी प्रत्याशी मैदान छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। ऐसे में पार्टी को मात्र 1.06 प्रतिशत मत मिले थे। 2019 में स्थिति यही रही तब पार्टी को 3.02 प्रतिशत मत मिले थे।


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