Noida: फ्रेट कारिडोर से 450 मिलियन टन कम होगा कार्बन उत्सर्जन, माल ढुलाई में आएंगे बदलाव
मालगाड़ियों के लिए समर्पित डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर के ईस्टर्न व वेस्टर्न कारिडोर सेक्शन पूरी तरह शुरू होने के बाद कार्बन उत्सर्जन में 450 मिलियन टन की कमी आने की संभावनाएं हैं। कॉरिडेट के पहले फेज में माल ढुलाई में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।
ग्रेटर नोएडा, अर्पित त्रिपाठी। ग्रेटर नोएडा मालगाड़ियों के लिए समर्पित डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर के दोनों सेक्शन ईस्टर्न व वेस्टर्न कारिडोर के पूरी तरह से संचालित होने पर कार्बन उत्सर्जन में 450 मिलियन टन की कमी आएगी, वहीं पहले फेज में माल ढुलाई में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।
DFCC ने वर्ष 2041 तक की रिपोर्ट जीएचजी अकाउंटिंग प्रोटोकाल आफ वर्ल्ड बिजनेस काउंसिल आफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड आइएसओ 14064 से तैयार कराई है। दोनों ही एजेंसियां जानी-मानी हैं।
माल ढुलाई में आएंगे अभूतपूर्व बदलाव
डीएफसीसी के निदेशक नंदूरी श्रीनिवास ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के साथ ही देश में माल ढुलाई में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिलेगा। डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर कार्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड की ओर से वेस्टर्न और ईस्टर्न कारिडोर तैयार किया जा रहा है। वेस्टर्न कारिडोर गौतमबुद्ध नगर के दादरी से मुंबई स्थित जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएलएनटी) तक 1506 किमी का है। ईस्टर्न कारिडोर बंगाल के दंकूनी से पंजाब के लुधियाना तक 1875 किमी का है। इन पर इलेक्ट्रिक इंजन ही संचालित होंगे। दोनों कारिडोर से संचालित होने पर सड़कों पर दौड़ रहे भारी मालवाहक वाहनों की संख्या कम होगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
2 भागों में बंटी है रिपोर्ट
रिपोर्ट को दो वर्गों में बांटा गया है एक डीएफसीसी परिदृश्य और दूसरी बिना डीएफसीसी परिदृश्य। पहले वर्ग में मौजूदा उपलब्ध परिवहन व्यवस्था मुख्य रूप से भारतीय रेलवे द्वारा संचालित मालगाड़ियां और सड़क पर चलने वाले मालवहक ट्रक। डीजल और इलेक्ट्रिक इंजनों का भारतीय रेल के ट्रेक पर असमय रुकना, लाइन क्लीयर होने का इंतजार आदि शामिल हैं।
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