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    Atiq Ahmed: अतीक के आगे IAS लॉबी भी हो गई थी फेल, नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन के आवास के घर में की थी तोड़फोड़

    By Dharmendra KumarEdited By: Geetarjun
    Updated: Sun, 16 Apr 2023 05:55 PM (IST)

    माफिया अतीक अहमद व उसके भाई के शूटआउट में मारे जाने के बाद भले ही विपक्षी पार्टियां प्रदेश सरकार को घेरने में जुटी हैं लेकिन अतीक की दुर्दंतता इतनी अधिक थी कि वह बुजुर्गों के साथ भी बेहद क्रूर तरीके से पेश आता था।

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    अतीक के आगे IAS लॉबी भी हो गई थी फेल।

    नोएडा, जागरण संवाददाता। माफिया अतीक अहमद व उसके भाई के शूटआउट में मारे जाने के बाद भले ही विपक्षी पार्टियां प्रदेश सरकार को घेरने में जुटी हैं, लेकिन अतीक की दुर्दंतता इतनी अधिक थी कि वह बुजुर्गों के साथ भी बेहद क्रूर तरीके से पेश आता था। इसका प्रमुख कारण सत्ता में उसकी हनक को माना जाता था।

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    2006 में जब प्रदेश में सपा सरकार थी, तो माफिया अतीक अहमद ने नोएडा-ग्रेटर नोएडा के तत्कालीन चेयरमैन राकेश बहादुर के सेक्टर-14-ए- स्थित पाश इलाके में आवास पर पूरे गिरोह के साथ पहुंच धावा बोला था। घर में रखे टीवी, गमले और सजावटी सामान को तहस-नहस कर दिया था।

    उस समय राकेश बहादुर घर पर नहीं थे, उनकी बुजुर्ग माता अतीक की करतूत को रोकने के लिए आगे आई। अतीक ने मां समान बुजुर्ग का कोई लिहाज नहीं किया और उनके साथ दुव्र्यवहार किया। करीब 40 मिनट तक अतीक चेयरमैन के आवास पर स्टाफ व स्वजन के साथ दुव्र्यवहार करता रहा।

    इस घटना की जानकारी जब चेयरमैन सहित आईएएस लॉबी को हुई तो उन्होंने अतीक पर कार्रवाई के लिए पुलिस प्रशासन और सरकार से गुहार लगाई, लेकिन सत्ता में अतीक की हनक के आगे आईएएस लॉबी भी उसके खिलाफ कार्रवाई कराने में फेल हो गई।

    राकेश बहादुर की गिनती भी उस समय प्रदेश के सबसे ताकतवर अधिकारियों में होती थी। बाद में वह प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन अतीक अहमद के खिलाफ एफआइआर तक दर्ज नहीं करा सके।

    दरअसल अतीक अहमद नोएडा-ग्रेटर नोएडा में भूखंड आवंटन में हस्तक्षेप चाहता था। वह अपने करीबी लोगों को कामर्शियल, औद्योगिक, ग्रुप हाउसिंग और संस्थागत भूखंडों का आवंटन प्राइम लोकेशन पर चाहता था।

    तत्कालीन चेयरमैन राकेश बहादुर ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। अतीक ने पहले सरकार के मुखियाओं से राकेश बहादुर पर दबाव डलवाया, जब सरकार के मुखिया के आदेश के बावजूद राकेश बहादुर ने अतीक की नहीं सुनी तो वह आग बबूला हो गया और उसने एक दिन शाम के समय चेयरमैन के आवास पर 15-20 लोगों को लेकर धावा बोल दिया।

    हथियारबंद लोगों के साथ वह जबरदस्ती घर में घुसा और चेयरमैन के आवास पर रखी उनकी कुर्सी पर जाकर बैठ गया। उसने यहां तक कहा कि जब तक चेयरमैन घर आकर मुझसे नहीं मिलेंगे, मैं नहीं जाउंगा। अतीक की इस करतूत की सूचना सरकार तक भेजी गई, आईएएस लॉबी के फोन पूरे देश से घनघनाने लगे।

    आईएएस लॉबी के दबाव में सरकार में बैठे उसके आकाओं ने उसे तत्काल चेयरमैन का आवास छोड़ने के निर्देश दिए। आकाओं के निर्देश पर 40 मिनट बाद वह घर से तो निकल गया, लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। दो दिन बाद आईएएस लॉबी की बैठक हुई और सरकार तक नाराजगी पहुंचाई गई, लेकिन अतीक के आका उसके इतने सपोर्ट में थे कि आईएएस लॉबी को ही मुंह बंद रखने की हिदायत मिल गई। इसके बाद चेयरमैन और उनका स्टाफ भी मौन हो गए।