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    नोएडा में सेटेलाइट ने पकड़ी जलती पराली, अधिकारियों में मचा हड़कंप; आनन-फानन में मौके पर पहुंचे और चलवाया रोटावेटर

    Updated: Tue, 15 Oct 2024 11:39 AM (IST)

    नोएडा में पराली जलाने का पहला मामला सामने आया है। दनकौर के बेला कलां गांव में किसानों ने करीब 15 बीघा खेत में आग लगाई थी। कृषि विभाग ने दोनों किसानों ...और पढ़ें

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    नोएडा में सीजन का पराली जलाने का पहला मामला सामने आया। फोटो- जागरण

    अजब सिंह भाटी, ग्रेटर नोएडा। पंजाब के बाद अब एनसीआर में भी पराली में आग सुलगने लगी है। गौतमबुद्ध नगर में सोमवार को इस सीजन का पराली जलाने का पहला मामला सामने आया। जैसे ही सेटेलाइट से पराली जलाने की इमेज सामने आई, प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम मौके पर पहुंच गई।

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    करीब 15 बीघा खेत में लगाई थी आग

    रोटावेटर चलवाकर आग पर काबू पाया गया। दनकौर के बेला कलां गांव के किसान आमिर और शहजाद ने धान की कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई कराने के बाद करीब 15 बीघा खेत में आग लगाई थी।

    कृषि विभाग ने दोनों किसानों के साथ कंबाइन हार्वेस्टर मशीन संचालक के खिलाफ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जिसके बाद न केवल उनके खिलाफ अर्थदंड की कार्रवाई की जाएगी बल्कि विभाग प्राथमिकी भी दर्ज कराएगा।

    पराली जलाने में अछूता नहीं जिला

    खेतों में धान की कटाई का काम शुरू हो गया है। पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के साथ ही शहरों की हवा में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है। खेतों में किसान पराली न जलाएं शासन के आदेश पर न्याय पंचायत स्तर पर निगरानी टीमें गठित की गई है।

    केंद्र सरकार सेटेलाइट से भी खेतों की निगरानी कर रही है। पराली जलाने के मामलों में जिला अछूता नहीं है। इससे पूर्व भी जिले में पराली जलाने की घटनाएं घट चुकी है। जिसके बाद विभागीय स्तर से न केवल किसानों पर अर्थदंड की कार्रवाई की गई थी, बल्कि जिलाधिकारी के निर्देश पर प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी।

    हर साल बढ़ जाता है प्रदूषण का स्तर

    पराली जलने की वजह से दिल्ली समेत आसपास के राज्यों में प्रदूषण का स्तर हर साल बढ़ जाता है। पिछले कई सालों से पराली जलने की वजह से प्रदूषण के हालात में कमोबेश कोई बदलाव नहीं आया है। पराली जलने से न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है, बल्कि इससे मिट्टी की उपजाऊ सतह को भी नुकसान पहुंचता है। मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट हो जाते है।

    हवा हो जाती है जहरीली

    किसानों को धान फसल की कटाई और अगली फसल की बुआई के लिए सिर्फ पंद्रह दिनों का समय मिलता है। जल्दबाजी की वजह से किसान पराली जलाने को अधिक पसंद करते हैं।

    पराली जलाने का सिलसिला 15 अक्टूबर से शुरू हो जाता है, लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव नवंबर में दिखाई देता है। फसल अवशेषों को आग लगाने से हवा जहरीली हो जाती है। जिसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ता है।

    पिछले तीन साल में पराली जलाने के मामले

    वर्ष मामले
    2020-21 18

    2021-22

    19
    2022-23 11