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    नोएडा में ड्राइविंग टेस्ट की नई व्यवस्था में 80 प्रतिशत लोग फेल, एडवांस ट्रैक पर नहीं चला पा रहे गाड़ी

    Updated: Sun, 11 Aug 2024 08:48 AM (IST)

    नोएडा में अब Driving Licence बनवाना मुश्किल हो गया है। अभी तक लोग परिवहन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की आड़ में बिना ड्राइविंग दक्षता के भी आसानी से डीएल बनवा ले रहे थे। यहीकारण है कि आए दिन सड़कें हादसों से लाल हो रही है। जिले में 2020 से अब तक 1882 लोगों की सड़क हादसों में मौत हो चुकी है।

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    नोएडा में डीएल बनवाना हुआ मुश्किल। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    अजय चौहान, नोएडा। ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए शुरू एडवांस ड्राइविंग टेस्ट सिस्टम व ट्रैक की नई व्यवस्था में 80 प्रतिशत लोग फेल हो रहे हैं।

    पुरानी व्यवस्था की तुलना में प्रतिदिन बनने वाली डीएल की संख्या में भी 97 प्रतिशत की कमी आई है। इससे साबित हो गया है कि अब तक ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में खुलेआम मानकों का उल्लंघन हो रहा था। 

    रियल टाइम निगरानी

    आधारित नई व्यवस्था में एक से सात अगस्त तक 134 लोगों ने स्थायी डीएल बनाने के लिए परीक्षा दी। इसमें से मात्र 27 लोग ही पास हो पाए। जहां पर पहले प्रतिदिन औसतन 125 डीएल बन रह थे। वहीं, अब यह आंकड़ा 19 पर सिमट गया है।

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    बिसाहड़ा में निजी ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र शुरू

    जिले में प्रदेश का पहला निजी ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र बिसाहड़ा में एक अगस्त से ही शुरू हुआ है। यहां पर एडवांस ड्राइविंग टेस्ट सिस्टम व ट्रैक स्थापित किया गया है। ट्रैक पर सेंसर युक्त कैमरे लगे हैं। इनकी सहायता से टेस्ट के दौरान आपकी ऑनलाइन निगरानी हो रही होती है।

    इस दौरान तय मानकों के अनुसार ड्राइविंग करने पर ही आपको लाइसेंस जारी होता है। गलत वाहन चलाने पर आपका लाइसेंस रद हो जाता है। ड्राइविंग ट्रैक की गतिविधि एआरटीओ, आरटीओ से लेकर उपायुक्त व आयुक्त स्तर तक के शीर्ष अधिकारी एक क्लिक पर देख सकते हैं।

    साथ ही इसका रिकार्ड भी स्टोर रहता है। ऐसे में किसी भी सामन्य परिस्थिति में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं की जाती है। अभी तक की व्यवस्था में परिवहन विभाग के संभागीय निरीक्षक (आरआइ) आपका ड्राइविंग टेस्ट लेते थे, लेकिन जिले में तय मानक वाला ट्रैक नहीं होने से ड्राइविंग दक्षता का पूरी तरह परीक्षण नहीं हो पाता था।

    सड़क हादसों में आएगी कमी

    सड़क हादसों के प्रमुख कारणों में खराब ड्राइविंग एक है। नई व्यवस्था में जिस पूर्णता के साथ चालक को ड्राइविंग मानकों की कसौटी पर परखा जा रहा है। इससे ठीक से वाहन चलाने में सक्षम लोगों का ही डीएल बन पाएगा।

    साथ ही लोगों को ड्राइविंग के दौरान सामना करने वाले विपरीत परिस्थिति का भी आभास रहेगा। डीएल टेस्ट में शामिल होने से पहले लोग ठीक से प्रशिक्षण लेंगे। इससे चालक की गलती से होने वाले सड़क हादसों में काफी हद तक की आने की उम्मीद है।

    दलालों के सिंडीकेट पर लगी लगाम

    अब तक चली आ रही व्यवस्था में अक्सर परिवहन विभाग पर मानकों के अनुरूप टेस्ट के बिना डीएल बनाने के आरोप लगते रहे हैं। दलालों के बिना टेस्ट डीएल बनवाने के भी मामले सामने आते रहे हैं।

    अधिकारियों पर भी सांठगांठ के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन नई व्यवस्था में बाहरी व्यक्तियों की भूमिका पूरी तरह खत्म हो गई है। अब आम से लेकर खास हर व्यक्ति को ड्राइविंग ट्रैक पर मानकों के अनुसार वाहन चलाना ही पड़ेगा।

    दैनिक जागरण ने किया था उजागर

    परिवहन विभाग में डीएल बनाने के नाम पर चल रहे खेल को उजागर करते हुए दैनिक जागरण ने 15 मार्च को स्टिंग आपरेशन किया था। इसमें दलालों ने कैमरे पर पांच हजार रुपये में बिना टेस्ट लाइसेंस बनाने की बात कही थी। नई व्यवस्था ने दैनिक जागरण के स्टिंग आपरेशन को पुष्ट करते हुए विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर मोहर लगाई है।

    नई व्यवस्था के तहत एडवांस ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट हो रहा है। इसमें परीक्षा उत्तीर्ण होने वालों की संख्या में कमी आइ है। इसका उद्देश्य ही ड्राइविंग टेस्ट में लोगों को उच्च मानकों पर परखना है। - डॉ. सियाराम वर्मा, एआरटीओ प्रशासन