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    ृ120 साल पुरानी चौखट से बनाया सजावटी सामान, बैलगाड़ी के पहियों से शीशे का फ्रेम

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 30 Oct 2021 08:45 PM (IST)

    अर्पित त्रिपाठी ग्रेटर नोएडा हस्तशिल्प मेले में लगे जोधपुर क्राफ्ट्स स्टाल के पास से गुजरन ...और पढ़ें

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    ृ120 साल पुरानी चौखट से बनाया सजावटी सामान, बैलगाड़ी के पहियों से शीशे का फ्रेम

    अर्पित त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा :

    हस्तशिल्प मेले में लगे जोधपुर क्राफ्ट्स स्टाल के पास से गुजरने वाला शायद ही कोई शख्स हो, जो एक बार यहां रखे सामान को छूना या पास से देखना नहीं चाहेगा। यहां गुजरात से लाई गई 120 साल पुरानी चौखट को काटकर कैंडल स्टैंड बना दिया गया है, तो 50 से 70 साल पुरानी बैल गाड़ी के पहिये के बीच में शीशा लगा दिया है। लोहे की कड़ाही, गिलास, कलछी को भी चमका दिया गया है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात के कई दशकों पुरानी हस्तकला लोगों को यहां दिख जाएंगी। इन एंटिक सामान में कुछ बदलाव कर उन्हें उपयोग में ला रहे हैं जोधपुर के पंकज सुराणा। उनके सबसे अधिक खरीदार यूरोप और अमेरिका के हैं।

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    गांवों, पुराने बाजारों से लाते हैं सामान पंकज ने बताया कि उन्होंने 20 वर्ष पहले ये काम शुरू किया था। जोधपुर में सड़क किनारे लोग ऐसे सामान बेचते थे। पुराने सामान का शौक था तो इन्हें खरीद लिया और फिर उनमें थोड़ा बदलाव कर बेचना शुरू किया। ये सामान लोगों को काफी पसंद आया। साथ ही पुरानी हस्तकला से लोग रूबरू भी हुए। इस काम को बढ़ाने के लिए गांवों और पुराने शहरों में टूट रहे घर, पुराने बाजारों की तलाश शुरू कर दी। पहले के लोगों को लकड़ी, लोहे, पीतल पर कलाकारी कराने का शौक होता था। घरों की चौखट हो या मसालदानी, आभूषण रखने के संदूक हो या बैल के गले और उसके सिर के सामने बंधी लकड़ी की बिजनी, इन सभी पर किसी न किसी तरह की कलाकृति बनी होती थी। इन सामानों को खरीदकर इन्हें नया रूप दे दिया जाता है, जो लोगों को काफी पसंद आता है।

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    150 रुपये से तीन लाख के सामान स्टाल पर 150 रुपये से लेकर तीन लाख रुपये तक के सामान हैं। जितना पुराना सामान और बेहतरीन कलाकृति उतनी उसकी कीमत। ब्रिटेन से हर साल 600 से अधिक लोहे की कड़ाही व अन्य पुराने बर्तनों के आर्डर आते हैं। इन्हें वे बोनफायर व बार्बीक्यू के लिए खरीदते हैं। इसके अलावा स्टाल पर रेलवे के पुराने लैंप, जो सिग्नल के काम आते थे, जूते बनाने के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली लकड़ी के शू मोल्ड, बैलगाड़ियों के पहिये, चारपाई, दरवाजे, झरोखे, परात आदि सालों पुराने कई सामान हैं।

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    इन प्रदेशों से लाए ये सामान में बदला रूप उत्तर प्रदेश से परात, बैल गाड़ियों के पहिये, कुएं पर लगी लकड़ी की चरखी (पुली), मध्य प्रदेश से मसालदानी, लकड़ी के बाक्स, झरोखे, महाराष्ट्र से बिजनी (खेत में हत जोत रहे बैल के सिर पर बंधी लकड़ी), दरवाजे, लकड़ी के खंभे, राजस्थान से दरवाजे, पत्थर, चारपाई गुजरात से दरवाजे, चौखट।