मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी से छुटकारा दिलाएगा जिम्स का ये ऐप, जानिए कैसे करेगा काम
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी एक आम समस्या है। एक नया ऐप इन समस्याओं से निजात दिलाने का दावा करता है। यह ऐप ध्यान, योग और वित्तीय योजना बनाने जैसे उपायों से मानसिक शांति और आर्थिक स्थिरता प्राप्त करने में मदद करता है। उपयोगकर्ता ऐप डाउनलोड करके और अपनी जानकारी भरकर इसका लाभ उठा सकते हैं।
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डा. राहुल सिंह, सीईओ इंक्यूबेशन सेंटर जिम्स।
जागरण संवाददाता, (आशीष चौरसि) ग्रेटर नोएडा। एआई के जमाने में भागदौड़ भरी जिंदगी में अक्सर लोग तनाव में आकर आत्महत्या का कदम उठा रहे हैं। देश में रोजाना हजारों मामले आत्महत्या के देखने को मिल रहे हैं। फिर वह चाहें मानसिक तनाव, आर्थिक परेशानी, सामाजिक या पारिवारिक तनाव के चलते आत्महत्या की गई हो।
ऐसे मामलों में कमी लाने और उनकी समस्या का निराकरण करने के लिए ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के इंक्यूबेशन सेंटर ने सुनो ऐप को तैयार किया है। यह लोगों की समस्याओं को सुनने के साथ ही उन्हें भावनात्मक रूप से जुड़ने और अपनापन जैसा महसूस कराएगा।
मनोविज्ञानियों का मानना है कि आज के समय में लोग अपनों से किसी मुद्दे पर खुलकर बात नहीं कर पाते हैं। इस कारण लगातार आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। इसके पीछे कारण मुख्य यह भी देखने को मिलता है कि लोगों में अपनी बात दूसरे से बताने में हिचकिचहाट देखने को मिलती है। उनमें लगता है कि कहीं वह समाज में हंसी के पात्र नहीं बन जाएं या आपस के लोग उनका मजाक उड़ाएं।
ऐसे लोगों के लिए सुनो ऐप मददगार साबित होगा। यहां समस्या बताने वाले लोगों को भावनात्मक जुड़ाव मिलने के साथ ही अपनापन महसूस होगा। उन्हें समाज में हंसी का पात्र बनने का डर नहीं रहेगा। क्योंकि अपनी समस्या बताने वाले व्यक्ति चाहेगा तो ही उसकी पहचान किसी को पता चलेगी। वरना ऐप के जरिए समस्या सुनने वाले विशेषज्ञ उसकी पहचान को नहीं देख सकेंगे। यहां पर लोगों के जीवन की अनसुलझी गुत्थी को सुलझाने के साथ ही उन्हें हर तरह से मदद पहुंचाने का काम किया जाएगा।
10 विशेषज्ञों की टीम सुनेगी समस्या
सुनो ऐप में लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए देश में अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले विशेषज्ञों की टीम को जोड़ा गया है। इसमें मनोविज्ञानी, फिजिशियन, नौकरीपेशा, आइटी क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल किए हुए लोगों को जोड़ा गया है।
अभी टीम में 10 विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। यह लोगों की समस्याएं सुनने के साथ ही उन्हें भावनात्मक तौर पर जोड़ेंगे और उन्हें बिल्कुल अपनापन महसूस कराएंगे। पहले से चल रहे ऐप में इस तरह की व्यवस्थाएं नहीं थीं।
ऐसे लोगों को देगा आर्थिक मजबूती
ऐप पर समस्या सुनने वाले लोग ही पीड़ित व्यक्ति को नजदीकी डाक्टर, नौकरी या अन्य तरह की सलाह उपलब्ध कराएंगे। पीड़ित व्यक्ति आर्थिक तंगी झेल रहा है तो उसे उसके पढ़ाई के आधार पर नजदीक ही नौकरी या किसी एनजीओ और सामाजिक संस्थाओं को बताएगा जहां पर वह लोग नौकरी कर सकेंगा। उपचार के स्तर से डाक्टरों की भी जानकारी देंगे
नौकरी की मिलेगी जानकारी
जो लोग समाज में ऐसे लोगों की मदद करना चाहते हैं। ऐप के माध्यम से वह औद्योगिक इकाइयों में नौकरियों की जानकारी देंगे। ऐप पर लोगों की समस्याएं सुनने से लेकर उनके निराकरण और नौकरी अन्य सुविधाएं पूरी तरह से निश्शुल्क की गई हैं। यहां पर पीड़ित व्यक्ति मैसेज, आडियो और वीडियो काल तीनों तरह से समस्या को बता सकता है।
समस्या बताने वाले व्यक्ति के बिना अनुमति के विशेषज्ञों तक उसकी पहचान नहीं खोली जाएगी। इसके लिए व्यक्ति के पास ही आप्शन रखा गया है।
100 लोगों पर किया गया सर्वे
ऐप बनाए जाने से पहले देश के अलग-अलग प्रदेशों के विभिन्न वर्गों के 100 लोगों पर सर्वे किया गया था। इसमें पढ़ाई करने वाले छात्र, नौकरी पेशा करने वाले लोग, बेरोजगार और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को शामिल किया गया। सर्वे में 98 प्रतिशत लोगों ने इस तरह के ऐप से लोगों के जीवन मदद होने पर सहमति जताई थी।
सुनो ऐप के माध्यम से लोगों को मानसिक तनाव दूर करने के साथ ही उन्हें आर्थिक तौर पर मजबूती मिलेगी। ऐप पर देश के 10 अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ लोगों की समस्याएं सुनेंगे।
डा. राहुल सिंह, सीईओ इंक्यूबेशन सेंटर जिम्स

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