जिम्स के इंक्यूबेशन सेंटर को 16.6 करोड़ की मिला फंड, ब्लूहिल डाट वीसी बना रही हेल्थकेयर की नई चिपसेट
ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में संचालित इंक्यूबेशन सेंटर को 16.6 करोड़ रुपये की सीड फंडिंग मिली है। यह फंडिंग ब्लूहिल डाट वीसी के नेतृत्व में सोफ्रोसिन टेक्नोलाजीज ने जुटाई है। इस सेंटर का उद्देश्य मेडटेक और डिजिटल हेल्थ को बढ़ावा देना है। सोफ्रोसिन टेक्नोलाजीज अल्ट्रा-लो-पावर बायोसेंसिंग चिपसेट विकसित कर रही है, जो स्वास्थ्य उपकरणों में उपयोग होगी।

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में संचालित इंक्यूबेशन सेंटर को दो मिलियन डालर (16.6 करोड़) की सीड फंडिंग जुटाई है। जिम्स के इंक्यूबेशन सेंटर से जुड़ी सोफ्रोसिन टेक्नोलाजीज ने तकनीक को बढ़ावा देने वाली फर्म ब्लूहिल वीसी के नेतृत्व में फंडिंग जुटाई है।
जिम्स में प्रदेश का पहला सरकारी इंक्यूबेशन सेंटर संचालित है। इसे मेडटेक, डिजिटल हेल्थ और डीप-टेक इनोवेशन में सफलताओं को सहयोग करने के लिए बनाया गया है। सोफ्रोसिन टेक्नोलाजीज एक यूनिफाइड, अल्ट्रा-लो-पावर बायोसेंसिंग सिस्टम-आन-चिप डेवलप कर रही है। यह इसीजी, पीपीजी, सांस संबंधी और तापमान को मापने में सक्षम है।
यह एक कांपैक्ट सेमीकंडक्टर समाधान है। यह अगली पीढ़ी के निरंतर स्वास्थ्य परीक्षण उपकरणों जो कि पहने जाएंगे उन्हें सक्षम करता है। इसको भारत सरकार की इलेक्ट्रानिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के डिएलआइ स्कीम के तहत ग्रांट मिल चुका है। मिली फंडिंग का उपयोग प्रोटोटाइप सिलिकान से प्रोडक्शन-ग्रेड डेवलपमेंट में ट्रांजिशन, सिलिकान डिजाइन और फर्मवेयर टीमों को बढ़ाने में किया जाएगा। साथ ही भारतीय और वैश्विक बाजार में शुरुआती ओईएम में किया जाएगा।
यह काम कर रहा है सोफ्रोसिन टेक्नोलाजीज
जिम्स के इंक्यूबेशन सेंटर के सीईओ डा. राहुल सिंह ने बताया कि सोफ्रोसिन टेक्नोलाजीज ऐसा हेल्थ-टेक स्टार्टअप है, जो अगली पीढ़ी के वियरेबल्स (पहनने) और मेडिकल डिवाइस के लिए भारत के अपने मेडिकल-ग्रेड चिपसेट विकसित कर रहा है। आरलैंड स्थित यूनिवर्सिटी कालेज कार्क से पीएचडी धारक डा. मनीष श्रीवास्तव और बिजनेस स्ट्रेटेजी और आपरेशंस में अंतरराष्ट्रीय स्तर का अनुभव रखने वाले जतिन गुप्ता ने शुरू किया था।
अभी भारत मेडिकल और हेल्थ डिवाइस के लिए आयात होने वाले चिपसेट पर निर्भर है। सोफ्रोसिन टेक्नोलाजीज इसमें बदलाव लाने के लिए देसी, अल्ट्रा-लो-पावर, क्लीनिकली दक्ष हेल्थ चिपसेट बना रहा है। यह मल्टी-वाइटल बायोसेंसिंग, स्मार्ट पावर मैनेजमेंट और रियल-टाइम स्वास्थ्य के खतरे को जानने और बचाव के लिए प्रोप्राइटरी एआइ में काम करेगा।
इन चिपसेट के साथ, कंपनी भविष्य के इनवेसिव और नान-इनवेसिव मेडिकल डिवाइस को और सक्षम बनाने के लिए एनर्जी-हार्वेस्टिंग टेक्नोलाजी विकसित कर रही है।
सोफ्रोसिन टेक्नोलाजीज की सफलता हमारे इस विश्वास को और पक्का करती है, कि वर्ल्ड-क्लास मेडिकल और सेमीकंडक्टर इनोवेशन एक पब्लिक हॉस्पिटल इकोसिस्टम से निकल सकता है, जब उसे सही स्ट्रक्चर, विजन और क्लीनिकल इंटीग्रेशन का सपोर्ट मिले।
- बिग्रेडियर डा. राकेश गुप्ता, निदेशक जिम्स

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