सफलता की मिसाल बनीं मीनू, 20 रुपये मजदूरी से शुरू हुआ जीवन
अनवरत संघर्ष और जज्बे से गरीबी के कुचक्र को तोड़कर हर्बल सौंदर्य साम

वैभव तिवारी, नोएडा :
अनवरत संघर्ष और जज्बे से गरीबी के कुचक्र को तोड़कर हर्बल सौंदर्य सामग्रियों के व्यापार से जीवन संवारने वाली मीनू रक्षित सफलता की ऐसी मिसाल हैं, जिनकी कहानी सपने सी लगती है। 20 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी में साबुन बनाने का काम करने वाली मीनू आज प्रगतिशील उद्यमी हैं। 2013 में मीनू को दिल्ली के इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में सर्वश्रेष्ठ उद्यमी और झारखंड सरकार की तरफ से सूक्ष्म उद्योग पुरस्कार दिया गया। 2017 में मीनू को दिल्ली में सम्मानित किया गया।
सेक्टर- 33 शिल्प हाट में आयोजित हुए सरस अजीविका मेला में पहुंची मीनू रक्षित निवासी हुरलुंग गांव, जमशेदपुर, झारखंड वर्ष 2007 में गांव में ही 20 रुपये की मजदूरी में साबुन बनाने का काम शुरू किया, जो दो वर्ष में बढ़कर 60 रुपये तक पहुंच गया। 2008 में ग्रामीण विकास मंत्रालय की मदद से चल रहे स्वयं सहायता समूह के महिलाओं के संपर्क में आकर मीनू ने प्रगति महिला समिति का गठन किया। इसके बाद के एक वर्ष तक गांव में ही मीनू साबुन बनाने का काम करती रहीं। इसी बीच पति की नौकरी चली गई। इस पर मीनू ने बैंक में समूह की तरफ से लोन के लिए आवेदन किया। इसपर साबुन बनाने के काम से मीनू को निकाल दिया गया। आर्थिक हालत खराब होने पर मीनू ने रिश्तेदारों से बीस हजार रुपये उधार लेकर जैविक उत्पाद की वस्तुओं से हर्बल साबुन बनाना शुरू किया और खुद ही साबुन बेचने लगीं। 2013 में दिल्ली के इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में मीनू के साबुन की रिकार्ड बिक्री होने के साथ उत्पाद को लोगों ने जमकर सराहा। यहां से मीनू के उद्यम को रफ्तार मिली। एक उत्पाद से शुरू हुई यात्रा आज 30 पर पहुंच गई है। जैविक उत्पादों के तेल का प्रयोग कर तैयार हो रही हर्बल सौंदर्य सामग्री : फल, मावा सहित जड़ी बूटियों का उपयोग कर मीनू रक्षित सौंदर्य सामाग्रियां अपने घर में ही तैयार कर रही हैं। कच्चे माल से लेकर उत्पादों के निर्माण तक केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। सामग्रियों में दस प्रकार के साबुन जैसमीन सोप, आरेंज सोप, लेमन सोप, आलमंड सोप, एलोवेरा सोप, नीम सोप, तुलसी सोप, संदल सोप, हल्दी सोप, रोज सोप, कुसुम सोप, पपाया सोप सहित अन्य तरीके के उत्पाद हैं। जिसे बनाने में 21 दिन का समय लगता है। कभी पैसे के चलते पढ़ नहीं पाई, आज देश के कई हिस्से में बेच रही उत्पाद गरीबी के चलते मीनू को 12 वीं के बाद ही मजदूरी शुरू करनी पड़ी थी। इसके कारण पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई। आज मीनू हर्बल उत्पाद को मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, पटना, पंजाब और हरियाणा के हिस्सों में भेज रही हैं। इस दौरान उद्यम की रफ्तार को देखते हुए ई - कामर्स वेबसाइट के जरिये सामान बेचने की तैयारी कर रहीं हैं। फिलहाल अभी विभिन्न शहरों के व्यापारियों से आए आर्डर को कूरियर के माध्यम से भेजा जाता है।
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