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    इफको साहित्य सम्मान 2025: मैत्रेयी पुष्पा को मिलेगा मुख्य साहित्य सम्मान, ग्रामीण जीवन पर लेखन को बढ़ावा

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 11:37 PM (IST)

    मैत्रेयी पुष्पा को इफको साहित्य सम्मान 2025 मिलेगा। उन्हें यह सम्मान ग्रामीण जीवन पर उनके उत्कृष्ट लेखन के लिए दिया जा रहा है। यह पुरस्कार ग्रामीण भार ...और पढ़ें

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    प्रतिष्ठित इफको साहित्य सम्मान 2025 कथाकार मैत्रेयी पुष्पा को प्रदान किया जाएगा। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नोएडा। भारतीय ग्रामीण जीवन और कृषि संस्कृति पर लिखने वाले रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इंडियन फाॅरमर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने वर्ष 2025 के साहित्य सम्मानों की घोषणा कर दी है। इस बार प्रतिष्ठित इफको साहित्य सम्मान 2025 कथाकार मैत्रेयी पुष्पा को प्रदान किया जाएगा, जबकि इफको युवा साहित्य सम्मान 2025 के लिए अंकिता जैन को ओह रे! किसान पुस्तक के लिए दिया जाएगा। दोनों रचनाकारों का चयन वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रकांता की अध्यक्षता वाली समिति ने किया, जिसमें नासिरा शर्मा, अनंत विजय, यतीन्द्र मिश्र, उत्कर्ष शुक्ल और डाॅ. नलिन विकास शामिल थे।

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    ग्रामीण समाज से जुड़ी हैं संस्था

    इफको की यह पहल ग्रामीण समाज और कृषि आधारित कहानियों, उपन्यासों और साहित्यिक अभिव्यक्तियों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2011 में शुरू की गई थी. संस्थान का कहना है कि गांव की मिट्टी, किसानों के संघर्ष, महिला जीवन और सामाजिक बदलावों को रचनात्मक रूप से स्वर देने वाले लेखक इस सम्मान के माध्यम से देशभर में साहित्यिक जगत के केंद्र में आते हैं।

    मैत्रेयी पुष्पा का समृद्ध साहित्यिक सफर

    वर्ष 2025 का मुख्य साहित्य सम्मान पाने वाली मैत्रेयी पुष्पा हिन्दी साहित्य की उन धारदार और महत्वपूर्ण आवाज़ों में से हैं जिन्होंने ग्रामीण स्त्री जीवन की विडंबनाओं और संघर्षों को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। उनका जन्म 30 नवंबर 1944 को अलीगढ़ जिले के सिकुर्रा गांव में हुआ और जीवन का बड़ा हिस्सा बुंदेलखंड में बीता. झांसी से एमए (हिंदी साहित्य) करने के बाद उन्होंने साहित्य की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई। वह नोएडा के सेक्टर 50 में रही हैं, फिलहाल इस समय वो दिल्ली एम्स के क्वाटर्स में रहती हैं।

    मैत्रेयी की प्रमुख कहानियां

    उनकी प्रमुख कृतियों में कहानी-संग्रह ‘चिन्हार’, ‘गोमा हंसती है’, ‘ललमनियां’, ‘समग्र कहानियां’ और उपन्यास ‘इदन्नमम’, ‘अगनपाखी’, ‘अल्मा कबूतरी’, ‘बेतवा बहती रही’, ‘चाक’, ‘फरिश्ते निकले’ जैसे चर्चित नाम शामिल हैं. ‘फैसला’ कहानी पर बनी टेलीफिल्म ‘वसुमती की चिट्ठी’ और ‘इदन्नमम’ पर आधारित धारावाहिक ने भी उनका साहित्य लोगों तक पहुंचाया। वे सार्क लिटरेरी अवॉर्ड, सरोजिनी नायडू पुरस्कार, प्रेमचंद सम्मान और शाश्वती सम्मान सहित कई महत्वपूर्ण सम्मानों से अलंकृत हो चुकी है।

    गांव की महिलाओं की कहानी ने किया प्रेरित

    साहित्यकर बनने और गांव की कहानियों पर लिखने के लिए कैसे प्रेरित हुई पूछने पर उन्होंने कहा कि मैंने करीब से गांव को देखा वहां के लोगों का संघर्ष देखा मुझे लगा गांव पर कोई खास लिखता नहीं, यहीं सोचकर लिखना शुरु किया। उन्होने कहा जिंदगी सिर्फ रोमानियत में नहीं गुजरती है। संघर्ष भी होता है। जब गांव की महिलाओं को देखा कि कैसे वह बिना सहायता के लड़ रही है। जब महिलाओं को सहयोग नहीं मिलता है तो वह ज्यादा साहसी हो जाती है। बस यहीं से मैंने ठान लिया कि स्त्री विमर्श को उठाऊंगी। मेरे पात्र बोलने से ज्यादा करते भी हैं। इसी से बदलाव आता है। इसके बाद से स्त्री विमर्श को उठाया।

    30 दिसंबर को होगा पुरस्कार वितरण

    इफको के अनुसार दोनों रचनाकारों को 30 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित इफको सदन में आयोजित विशेष समारोह में सम्मानित किया जाएगा। मुख्य साहित्य सम्मान के तहत 11 लाख रुपये, प्रतीक चिह्न और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा, जबकि युवा साहित्य सम्मान के अंतर्गत 2.5 लाख रुपये, प्रतीक चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।

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