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    ग्रेटर नोएडा में भड़काऊ सामग्री छापने वाली फैक्ट्री का पर्दाफाश, विदेश से फंडिंग जुटाने का आरोप

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 09:36 AM (IST)

    ग्रेटर नोएडा के कासना में एटीएस ने एक फैक्ट्री पर छापा मारा, जहां भड़काऊ सामग्री छापी जा रही थी। दिल्ली के फरहान नबी सिद्दीकी को गिरफ्तार किया गया, जो विदेशी फंडिंग से धार्मिक वैमनस्य फैला रहा था। पुलिस जांच कर रही है कि क्या इस पैसे का इस्तेमाल नोएडा-ग्रेटर नोएडा में मस्जिद या मदरसे बनाने के लिए किया गया था। फैक्ट्री दो साल से चल रही थी और आसपास के लोग ज्यादा संपर्क में नहीं थे।

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    कासना औद्योगिक क्षेत्र स्थित किताबों का प्रकाशन करन वाली फैक्ट्री ।


    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) द्वारा कासना औद्योगिक क्षेत्र में दिल्ली के फरहान नबी सिद्दीकी के पकड़े जाने के बाद स्थानीय पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी है।

    सूत्रों की माने तो धार्मिक समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने व विदेश से फंडिंग जुटाने के लिए भडकाऊ सामग्री वाली किताबों का प्रकाशन करने वाली फैक्ट्री का संचालन कासना में पिछले दो साल से हो रहा था। कासना पुलिस ने फैक्ट्री के कर्मचारियों और आरोपित के भाई से पूछताछ के लिए संपर्क किया है।

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    पुलिस ने रविवार को भी फैक्ट्री पहुंचकर जांच की है कि कहीं धार्मिक समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने के लिए विदेशी फंडिंग से जुटाए 11 करोड़ रुपए नोएडा ग्रेटर नोएडा में तो किसी मस्जिद या धार्मिक कार्यक्रम पर तो खर्च नहीं किए गए थे। हालांकि पुलिस का कहना है कि अभी कोई सुराग हाथ नहीं लगा है।

    बता दें कि यूपी एटीएस ने धार्मिक समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने के लिए विदेश से 11 करोड़ रुपए की फंडिंग जुटाने और बांग्लादेशी घुसपैठियों को पनाह देने के आरोप में दिल्ली निवासी फरहान नबी सिद्दीकी को यूपी एटीएस ने कासना से गिरफ्तार किया था।

    जांच में सामने आया है कि फैक्ट्री में भडकाऊ सामग्री वाली किताबों का प्रकाशन किया जाता था। सूत्रों की माने तो आरोपित की गिरफ्तारी के साथ भडकाऊ सामग्री जब्त की गई है। पकड़ा गया आरोपित फरहान फंडिंग जुटाने वाली कंपनी इस्तानबुल इंटरनेशनल कंपनी का सह निदेशक है।

    इस रकम से यूपी के अमरोहा और पंजाब में मस्जिद और मदरसे बनाने के लिए जमीनों को खरीदा गया था। फरहान अपने साथी नासी तोर्बा के साथ मिलकर कई कंपनियों का संचालन करता है। तुर्की और जर्मनी से तमाम लोग आते थे, जिसकी सूचना पुलिस को नहीं दी जाती थी। उनकी कंपनियों में विदेश से हवाला एवं अन्य माध्यम से पैसा मंगाया जा रहा था।

    ये ग्रेटर नोएडा के कासना में हकीकत प्रिंटिंग पब्लिकेशन का इस्तेमाल धार्मिक एवं विभिन्न समूह के बीच शत्रुता एवं वैमनस्यता फैलाने वाली किताबों का प्रकाशन करने में कर रहे थे। पुलिस स्थानीय स्तर पर यह पता लगाने का प्रयास कर रही है की कही नोएडा ग्रेटर नोएडा में तो इन लोगों ने मस्जिद या मदरसे के लिए तो जमीन नहीं खरीदी थी।

    आसपास के वेयर हाउस पड़े हैं खाली

    कासना स्थित डी-192 में फैक्ट्री का संचालन हो रहा था। आसपास कई वेयर हाउस बने हैं। जो खाली पड़े हैं। पुलिस जांच में सामने आया है कि फरहान आसपास के लोगों से भी ज्यादा संपर्क में नहीं रहता था।