कोचिंग सेंटर की आड़ में चल रहा था जीएसटी फर्जीवाड़े का अंतरराज्यीय गिरोह, एसटीएफ ने पांच को किया गिरफ्तार
नोएडा में कोचिंग सेंटर की आड़ में चल रहे जीएसटी फर्जीवाड़े के एक अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। एसटीएफ ने इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार क ...और पढ़ें

एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार आरोपी।
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) उत्तर प्रदेश ने फर्जी फर्मों से जीएसटी चोरी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश कर पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है। गिरोह फर्जी दस्तावेजों से फर्जी फर्मों का पंजीकरण कर उनके नाम से जाली सेल्स इनवाइस और ई-वे बिल जारी कर, इन्हें वास्तविक व्यापारिक फर्मों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के रूप में बेचता था।
संगठित फर्जीवाड़े से करोड़ों के जीएसटी राजस्व का नुकसान किया जा रहा था।
एसटीएफ मुख्यालय लखनऊ के निर्देशन में कार्रवाई फील्ड इकाई नोएडा और गोरखपुर की संयुक्त टीम ने की। गिरोह की गतिविधियां उत्तर प्रदेश, बिहार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तक फैली थीं। रविवार को चार आरोपितों को एसटीएफ नोएडा कार्यालय में पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया था। पांचवें आरोपित को बिहार के वैशाली जिले से गिरफ्तार किया गया।
आरोपितों की पहचान बिदेश्वर प्रसाद पाण्डेय निवासी सुल्तानपुर, बबलू कुमार निवासी गोपालगंज बिहार, प्रिंस पांडेय निवासी गोपालगंज बिहार, दीपांशु शर्मा निवासी छपरा बिहार और जयकिशन निवासी वैशाली बिहार के रूप में हुई है। जयकिशन को छोड़कर अन्य चार आरोपित वर्तमान में गाजियाबाद में रह कर गिरोह का संचालन कर रहे थे।
आरोपितों के कब्जे से चार लैपटाप, नौ मोबाइल फोन और 13,500 रुपए बरामद हुए। आरोपित इलेक्ट्रानिक उपकरणों से बोगस फर्मों के पंजीकरण, फर्जी इनवाइस और ई-वे बिल बनाकर जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में करते थे। सभी को न्यायालयों में पेश कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा है। आगे की कार्रवाई संबंधित जिलों की पुलिस करेगी।
कोचिंग सेंटर में छात्रों को दिया था जालसाजी का प्रशिक्षण
एसटीएफ की जांच में पता चला कि गिरोह का मास्टर माइंड बिदेश्वर प्रसाद पाण्डेय वर्ष 2021 से गाजियाबाद में हिन्दुस्तान कोचिंग सेंटर के नाम से अकाउंटेंसी से जुड़ा प्रशिक्षण केंद्र चलाता था। सेंटर में अकाउंटेंसी के साथ टैली, बीजी जैसे साफ्टवेयरों का प्रशिक्षण देकर छात्रों को इनवाइस तैयार करने, ई-वे बिल जनरेट करने और जीएसटी रिटर्न भरने की ट्रेनिंग दी जाती थी।
कोचिंग सेंटर के छात्र दीपांशु शर्मा और जयकिशन इस फर्जीवाड़े में शामिल हो गए। प्रशिक्षण पूरा कराकर बिदेश्वर ने साथियों के साथ बोगस फर्में तैयार कर इनके जरिए फर्जी सेल्स इनवाइस बेचने का नेटवर्क खड़ा कर दिया। फर्जी दस्तावेजों से बोगस फर्मों का जीएसटी पंजीकरण करता था।
बाद में बिना किसी वास्तविक माल या सेवा की खरीद-फरोख्त के फर्जी सेल्स इनवाइस और ई-वे बिल तैयार करते थे। इन दस्तावेजों को जीएसटी पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाता था, इससे कागजों में लेन-देन वास्तविक प्रतीत हो।
एजेंटों के माध्यम से कटवाते थे बोगस इनवॉइस
जांच में पता चला कि वास्तविक फर्म धारक अपने एजेंटों के माध्यम से आरोपितों से संपर्क कर अपनी फर्म के पक्ष में बोगस इनवाइस कटवाते थे। वास्तविक फर्म धारक जीएसटी नंबर, माल या सेवा की प्रकृति, मात्रा और कीमत का विवरण आरोपितों को भेजता था। इसके आधार पर आरोपित बोगस फर्मों के नाम से फर्जी इनवाइस और ई-वे बिल तैयार कर वाट्सएप पर भेज देते थे।
फर्जी लेन-देन वास्तविक दिखानेबैंक खातों के माध्यम से धनराशि जमा दिखाई जाती थी। बाद में कैश या सर्कुलर ट्रेडिंग से इस राशि की भरपाई कर ली जाती थी।आरोपितों के मोबाइल फोन में 50 से अधिक ई-मेल आईडी लागिंन मिलीं थी। इन्हीं ई-मेल आईडी से बोगस फर्मों का पंजीकरण, जीएसटी रिटर्न फाइलिंग और बैंक लेन-देन के लिए ओटीपी हासिल करते थे।
आरोपितों के पास विभिन्न फर्मों के बैंक खातों की लागिन आइडी और पासवर्ड तक की पूरी पहुंच थी, इससे वे आसानी से ट्रांजेक्शन कर लेते थे।

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