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    ग्रेटर नोएडा में बीएलओ को बंद मिल रहे फ्लैट, किरायेदार मतदाताओं को तलाशना पड़ रहा भारी

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 12:39 PM (IST)

    ग्रेटर नोएडा में बीएलओ को मतदाता सूची सत्यापन में मुश्किल हो रही है क्योंकि कई फ्लैट बंद मिल रहे हैं। इससे किरायेदार मतदाताओं को ढूंढना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि वे अक्सर स्थानांतरित होते रहते हैं। मतदाता सूची को अपडेट करने में बीएलओ को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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    अल्फा एक सेक्टर स्थित सेंट जोसेफ स्कूल में आयोजित शिविर में एसआइआर के फार्म भरते बीएलओ व सहयोग करते आरडब्लयूए के पदाधिकारी। सौ. आरडब्लयूए

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। निर्वाचन नामावली के विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत सेक्टर व सोसायटियों में रह रहे किरायेदार मतादाताओं को तलाशने व उन तक फार्म पहुंचाने में बूथ लेवर ऑफिसर (बीएलओ) के पसीने छूट रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी बीएलओ को सोसायटियों में हो रही है।

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    इसी तरह की परेशानी सेक्टरों में फार्म वितरण के कार्य में जुटे बीएलओ के सामने आ रही है। हालांकि ग्रामीण अंचलों में इस तरह की परेशानियों का सामना बीएलओ को नहीं करना पड़ रहा है। दरअसल बीएलओ को घर -घर जाकर मतदाताओं तक पहुंचने व एसआइआर के तहत प्रपत्र वितरण करने के दिशा निर्देश निर्वाचन विभाग ने दिए हैं।

    निर्देश के क्रम में बीएलओ हर मतदाता के घर कम से कम तीन बार जाएंगे। यदि किसी घर में ताला बंद मिलता है तो गणना फार्म बाहर चिपकाया जाएगा। जिला प्रशासन का उद्देश्य है कि हर मतदाता तक यह फार्म पहुंचे। बीएलओ को नियमित 40 से 45 घरों में जाना होगा। बीएलओ को साफ निर्देश दिए गए हैं कि वे हर मतदाता से संपर्क करें।

    यदि मतदाता से संपर्क नहीं हो पाता है तो वोटर लिस्ट में लिखे पते पर गणना फार्म चिपकाया जाए। मुलाकात न होने पर पड़ोसी या किसी और की गवाही के आधार पर अनुपस्थिति की रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। उसके बाद भी मतदाता को आपत्ति दर्ज करने का मौका दिया जाएगा। सोसायटी व सेक्टरों में कुछ किरायेदार मतदाताओं ने अपने मकान तो बदल दिए, लेकिन संशोधन नहीं कराया।

    अब किरायेदार अपने मकानों को छोड़कर दूसरी जगह चले गए हैं। ऐसे किरायेदारों को तलाशने में बीएलओ को परेशानी हो रही है। वहीं उप जिला निर्वाचन अधिकारी अतुल कुमार के मुताबिक बीएलओ को प्रत्येक मतदाता के घर कम से कम तीन बार जाना होगा।

    यदि मतदाता मूल पते पर नहीं मिलते हैं तो एओए व आरडब्यलूए की मदद लें। निर्वाचन नामावली के विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (एसआइआर) के तहत चल रहे अभियान में कोताही किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।