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    प्रदूषण और शोरगुल से अस्तित्व खो रहा धनौरी वेटलैंड

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 05 May 2022 07:51 PM (IST)

    सर्दियों में प्रवासी पक्षियों का ठिकाना बनने वाले धनौरी वेटलैंड के अस्तित्व पर संकट बढ़ रहा है। प्रदूषण और पानी के अभाव में सारस समेत भारतीय प्रजाति के पक्षी भी वेटलैंड से दूर हो रहे हैं।

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    प्रदूषण और शोरगुल से अस्तित्व खो रहा धनौरी वेटलैंड

    घनश्याम पाल, बिलासपुर: सर्दियों में प्रवासी पक्षियों का ठिकाना बनने वाले धनौरी वेटलैंड के अस्तित्व पर संकट बढ़ रहा है। प्रदूषण और पानी के अभाव में सारस समेत भारतीय प्रजाति के पक्षी भी वेटलैंड से दूर हो रहे हैं। वेटलैंड तेजी से खेती की जमीन में तब्दील हो रहा है। पर्यावरणविदों ने जैव विविधता के लिए धनौरी वेटलैंड को संरक्षित करने के लिए जल्द कदम उठाने की मांग की है। प्रवासी पक्षियों के प्रवास ने दी वेटलैंड को पहचान

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    दनकौर के नजदीक धनौरी वेटलैंड शांत क्षेत्र व भोजन की प्रचुरता के कारण प्रवासी पक्षियों के लिए आदर्श ठिकाना रहा है। हर साल सर्दियों में कई प्रजाति के पक्षी हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर यहां प्रवास के लिए पहुंचते हैं और सर्दियां बीतने के साथ वापस चले जाते हैं। संरक्षण के प्रयास में विलंब से अस्तित्व पर मंडराने लगा संकट

    प्रवासी पक्षियों का बसेरा देखते हुए धनौरी वेटलैंड को संरक्षित करने के लिए कई वर्षों से प्रयास चल रहे हैं, लेकिन विलंब के कारण वेटलैंड का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा है। आसपास बड़े पैमाने पर गतिविधियां हो रही हैं। जिससे पक्षियों के प्रवास में खलल पड़ रहा है। राज्य पक्षी सारस धनौरी वेटलैंड में काफी संख्या में नजर आते थे, लेकिन अब इक्का दुक्का सारस ही नजर आते हैं। बढ़ रहा इंसानी दखल

    खेतों की सिचाई के लिए डीजल इंजन की गूंज व झाड़ियों में आग लगाने से निकलने वाले धुएं से क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ रहा है। चरवाहे पशुओं को चराने के लिए यहां पहुंचते हैं। ट्रैक्टर से खेतों की जुताई, वेटलैंड के नजदीक सड़क निर्माण और उसमें लगी मशीनों के शोर से पूरा क्षेत्र अशांत हो गया है। खेती के लिए किसान वेटलैंड के आस पास की झाड़ियों को हटाकर खेत में तब्दील कर रहे हैं। वेटलैंड में पानी की कमी

    वेटलैंड में प्रदूषण के अलावा पानी की कमी भी हो गई है। पहले रजवाहे से वेटलैंड में पानी भरा जाता था। इस पानी से किसान खेतों की सिचाई करते थे और पक्षियों के लिए भोजन की प्रचुरता भी बनी रहती थी, लेकिन अब वेटलैंड में पानी एकत्र करने के बजाए सीधे खेतों में पानी जा रहा है। इससे वेटलैंड में पानी की कमी हो गई है। पक्षीप्रेमियों के मुताबिक वेटलैंड में पानी की कमी व जलकुंभी की अधिकता के कारण पक्षियों का यहां से मोहभंग हो रहा है। नहर, माइनर से वेटलैंड में पानी छोड़ा जाता था। इससे खेतों की सिचाई होती थी। वेटलैंड में प्रचुर पानी रहता था। प्रशासन के दखल के कारण नहर से पानी छोड़ना बंद हो गया है। झील सूखने लगी है।

    -कपिल नागर, स्थानीय निवासी प्रवासी पक्षियों के लिए धनौरी वेटलैंड अनुकूलन स्थल है। पानी, शोरगुल व निर्माणाधीन साइट, प्रदूषण के लेकर कदम उठाने की जरूरत है।

    -एसपी चौधरी, पक्षीप्रेमी पानी, झाड़ियों की कमी के कारण पक्षियों को प्रचुर मात्रा में रहने व खाने का अभाव पैदा हो गया है। इस कारण पक्षियों का यहां से पलायन हो रहा है।

    -हर्षवर्धन, पक्षी प्रेमी

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