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    'आतंकवाद को खत्म करने के लिए कट्टरपंथ को खत्म करना जरूरी', रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन का कट्टरता पर बड़ा बयान

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 10:32 PM (IST)

    रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने कहा कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए कट्टरपंथ को खत्म करना जरूरी है। युवाओं को 'विकसित भारत 2047' में शामिल करना होगा। उन्होंने सिंगापुर मॉडल की तरह कश्मीर में भी कट्टरपंथी संस्थानों को खत्म करने की बात कही। सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ाने और गैंगस्टर-आतंकवादी गठजोड़ को खत्म करने की भी आवश्यकता है।

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    रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने कहा कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए कट्टरपंथ को खत्म करना जरूरी है। फाइल फोटो

    रवि पाल, नोएडा। देश में आतंकवाद की जड़ों को खत्म करने के लिए, हमें कट्टरपंथ, जो इसका मुख्य कारण है, को खत्म करने के लिए काम करना होगा। कट्टरपंथ की जड़ों को खत्म करने के साथ-साथ, कश्मीर के युवाओं को भी "विकसित भारत 2047" की यात्रा में शामिल करना होगा, ताकि वे ग्रेजुएट होने के बाद भी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल न हों। ये विचार रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने देश में आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर दैनिक जागरण के राष्ट्रीय चर्चा कार्यक्रम में व्यक्त किए।

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    उन्होंने कहा कि आतंकवादी और कट्टरपंथी संगठन युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहे हैं। कट्टरपंथी किसी व्यक्ति को ऐसी मानसिक स्थिति में भी पहुंचा सकते हैं कि वह अपनी जान देने के लिए तैयार हो जाए। साइकोलॉजिकल मैसेजिंग का इस्तेमाल करके, ISIS ने USA, कनाडा और मालदीव जैसे देशों से 40,000 कट्टरपंथी युवाओं को इकट्ठा किया। हसनैन ने कहा कि यूनाइटेड स्टेट्स में 9/11 हमलों के बाद, सिंगापुर ने किसी भी आतंकवादी हमले से निपटने की तैयारी शुरू कर दी थी। वहां की सरकार ने पड़ोसी इंडोनेशिया और मलेशिया से आने वाले लोगों पर नजर रखी।

    इंटेलिजेंस का एक बड़ा नेटवर्क बिछाया गया था, इसमें 75 मौलवियों को भी शामिल किया गया था। मौलवियों ने इंटरनेट मीडिया, जेलों, स्कूलों और बड़े संस्थानों में कुरान में लिखी आयतों का सही मतलब समझाया, ताकि युवा गलत रास्ते पर न जाएं। कश्मीर में भी सिंगापुर मॉडल की तरह काम करने की जरूरत है। वहां के कट्टरपंथी संस्थानों को पहचान कर उन्हें खत्म करना होगा।

    नेपाल और बांग्लादेश से आसान घुसपैठ

    रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा, आतंकवाद विरोधी नीति में अब बदलाव की जरूरत है। भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति अभी तक पाकिस्तान केंद्रित है, लेकिन अब इसे बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार तक बढ़ाना होगा। नेपाल और बांग्लादेश से आसानी से घुसपैठ हो रही है। इन सीमाओं से भारत में बैठे आतंकवाद के प्रायोजकों को आसानी से फंड, हथियार और अन्य जरूरी सामग्री मिल रही है। 10 नवंबर 2025 को दिल्ली में हुआ धमाका इसका सबसे नया उदाहरण है। अब आतंकवादी बड़े पैमाने पर सुसाइड बम धमाकों की तैयारी कर रहे हैं।

    NIA की जांच में यह भी पता चला है कि आतंकवादी देश में 32 जगहों पर सुसाइड बम धमाकों की तैयारी कर रहे थे। IED के ज़रिए धमाके करने वालों को IED डॉक्टर कहा जाता है। डॉ. उमर भी इसका सदस्य हो सकता है। शहरी आतंकवाद तेज़ी से फैल रहा है। उन्होंने कहा कि देश में ग्रामीण आतंकवाद पहले भी था, लेकिन अब शहरी आतंकवाद तेज़ी से फैल रहा है। इसमें स्लीपर सेल का अहम रोल है।

    गैंगस्टर-आतंकवादी गठजोड़ को खत्म करना होगा। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि किसी भी बड़ी आतंकवादी घटना में आतंकवादी, गैंगस्टर और ड्रग तस्करों का अहम रोल होता है। 1993 के मुंबई धमाकों में दाऊद इब्राहिम का बड़ा रोल सामने आया था। हाल ही में हुए दिल्ली बम धमाकों ने भी एक बड़े क्रिमिनल नेटवर्क का पर्दाफाश किया है।

    इस नेटवर्क में पाकिस्तान, थाईलैंड, म्यांमार और बांग्लादेश जैसे देशों में फैले लोग शामिल हैं। इन देशों से ड्रग तस्करी नारकोटिक्स कंट्रोल के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। जम्मू-कश्मीर को भारत में मिलाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी चुनौती है। जब भी आदेश मिलेगा, भारतीय सेना हमेशा तैयार है। वह आगे बढ़ेगी और जम्मू-कश्मीर में भारतीय झंडा फहराएगी।