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    अखलाक हत्याकांड मामले में 12 दिसंबर को होगी सुनवाई, पीड़ित पक्ष के वकील बोले- अदालत पर भरोसा चलेगा केस

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 09:34 AM (IST)

    दादरी के बिसाहड़ा में 2015 में हुए अखलाक हत्याकांड में सरकार द्वारा केस वापस लेने की अर्जी पर 12 दिसंबर को सुनवाई होगी। पीड़ित पक्ष के वकील ने न्यायपालिका पर भरोसा जताया है। सरकार ने सामाजिक सद्भाव की बहाली का हवाला देते हुए मामला वापस लेने की अनुमति मांगी है, जबकि पीड़ित पक्ष अदालत पर भरोसा जता रहा है।

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    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा।  दादरी कोतवाली क्षेत्र के बिसहड़ा में 10 वर्ष पहले हुआ अखलाक हत्याकांड एक बार फिर से चर्चा में है। मामले में प्रदेश सरकार ने केस वापस लेने के लिए गौतमबुद्धनगर की जिला अदालत में अर्जी लगाई है। इसकी सुनवाई के लिए 12 दिसंबर तारीख निर्धारित की गई है। उधर, पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता यूसुफ सैफी का कहना है कि न्याय देना सरकार का नहीं, न्यायपालिका का काम है। उन्हें देश की न्यायिक प्रणाली पर पूरा भरोसा है, अदालत में केस चलता रहेगा।

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    एडिशनल सेशंस जज फास्ट ट्रैक कोर्ट फर्स्ट में विचाराधीन साल-2015 के चर्चित बिसाहड़ा कांड में सरकार की ओर से मामला वापस लेने की अर्जी लगाई है। इस संबंध में शासन और संयुक्त निदेश अभियोजन के आदेश के बाद सहायक जिला शासकीय वकील (फौजदारी) द्वारा अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है। इसमें सामाजिक सद्भाव की बहाली को देखते हुए मामला वापस लेने का आदेश पारित करने की अनुमति मांगी है।

    अर्जी में बताया गया कि चश्मदीद गवाह असगरी इकरामन, शाहिस्ता, दानिश के बयानों में आरोपितों की संख्या में बदलाव है। वादी व आरोपित सभी एक ही गांव के निवासी हैं। उसी गांव का निवासी होने के बाद भी वादी और अन्य गवाहों ने अपने बयानों में आरोपितों की संख्या में बदलाव किया है। घटना गोवंश के मीट के प्रयोग से संबंधित है।

    आरोपितों के पास से पांच लाठी, सरिया और ईंट की बरामदगी पुलिस द्वारा दिखाई गई है। इसमें कोई हथियार बरामदगी की पुष्टि और न ही किसी धारदार हथियार के प्रयोग का प्रमाण मिला। पुलिस की केस डायरी में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला कि दोनों पक्षों के बीच पहले से कोई रंजिश या शत्रुता रही हो। इसलिए सामाजिक सद्भाव की बहाली की के लिए मामला वापस लिए जाने का आदेश पारित किया जाए।

    संयुक्त निदेशक अभियोजन ने लिखा था पत्र

    उत्तर प्रदेश शासन के न्याय अनुभाग-5 (फौजदारी) लखनऊ द्वारा 26 अगस्त 2025 को जारी शासनादेश के अनुसार यह मामला वापस लेने का निर्णय हुआ था। संयुक्त निदेशक अभियोजन गौतमबुद्धनगर ने 12 सितंबर 2025 को पत्र जारी कर जिला शासकीय वकील (फौजदारी) गौतमबुद्धनगर को इस संबंध में कार्रवाई के निर्देश दिए थे। पत्र में कहा गया था कि राज्यपाल द्वारा अभियोजन वापसी की अनुमति दी गई है।

    पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता बोले- केस ट्रायल में है, गवाही हो रही हैं

    पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता यूसुफ सैफी का कहना है कि एफआइआर में नामजद 10 और अज्ञात पांच लोग थे। चार्जशीट 15 लोगों के खिलाफ आई थी। सभी आरोपित जमानत पर बाहर हैं। केस ट्रायल में है गवाही हो रही हैं। सामाजिक सद्भाव कहां पैदा होता है। किसी की हत्या हुई थी। चश्मदीद गवाह हैं। जांच अधिकारी ने आरोप पत्र प्रेषित किया है तो इसमें सामाजिक सौहार्द का क्या मतलब है। न्यायालय पर भरोसा है। सरकार ने अर्जी लगाई है।

    धारा 321 सीआरपीसी के तहत सरकार केस वापसी के लिए न्यायालय से निवेदन कर सकती है। न्यायालय में सरकारी वकील द्वारा प्रार्थना पत्र लगाया गया है। उसमें राज्यपाल की मंजूरी है, लेकिन केस वापस होगा या नहीं होगा ये कोर्ट तय करेगा। इस तरह मामले में सरकार कभी भी केस वापस नहीं ले सकती। अखलाक की हत्या व दानिश को अधमरा किया गया था, उनकी पुत्री के बयान दर्ज हो चुके हैं।

    पुलिस ने घटनास्थल से मांस के टुकड़े बरामद कर मथुरा की फोरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजे थे। 30 मार्च 2017 को आई रिपोर्ट में मांस गोवंशी (गाय का मांस) पाया गया था। साक्ष्य चल रहे हैं, ये प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। न्यायालय सुनवाई करेगी। गवाह की संख्या में बदलाव नहीं किया गया। सभी के बायन रिकॉर्ड हैं।

    क्या है पूरा मामला?

    28 सितंबर 2015 की रात थाना जारचा क्षेत्र के बिसाहड़ा गांव में गोमांस के सेवन की अफवाह के बाद भीड़ ने गांव निवासी अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। उसका बेटा दानिश गंभीर रूप से घायल हुआ था। अखलाख की पत्नी इकरामन ने दस लोगों के खिलाफ नामजद मामला दर्ज कराया था। पुलिस विवेचना में चश्मदीद गवाहों पत्नी इकरामन, मां असगरी, पुत्री शाहिस्ता और पुत्र दानिश के बयान दर्ज हुए थे।

    शुरुआती बयानों में 10 आरोपितों का नाम आया था। बाद के बयानों में गवाहों ने अन्य और 16 नाम जोड़े थे। अखलाक की पुत्री शाहिस्ता के 26 नवंबर 2015 के बयान में 16 आरोपियों का जिक्र किया गया था। 5 दिसंबर-2015 को दानिश ने 19 लोगों के नाम बताए थे। विवेचक ने 22 दिसंबर 2015 को अदालत में 18 आरोपिताें के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। वर्तमान में सभी आरोपित जमानत पर हैं।