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    ग्रेटर नोएडा के जिम्स में एआई से डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच, दिल्ली जाने की झंझट खत्म

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 06:39 PM (IST)

    ग्रेटर नोएडा के जिम्स में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच शुरू हो गई है। अब मरीजों को दिल्ली जाने की जरूरत नहीं होगी। इस सुविधा से समय की बचत होगी और रेटिना की सटीक स्थिति का पता चल सकेगा। एम्स नई दिल्ली के साथ मिलकर यह सुविधा शुरू की गई है, जिससे मरीजों को कम समय में बेहतर उपचार मिल सकेगा।

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    डायबिटिक रेटिनोपैथी की एआई आधारित जांच कराने के लिए लोगों को अब दिल्ली या निजी अस्पतालों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। डायबिटिक रेटिनोपैथी की एआइ आधारित जांच कराने के लिए लोगों को अब दिल्ली या निजी अस्पतालों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के नेत्ररोग विभाग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच की सुविधा शुरू हो गई है। इससे मरीजों के समय की बचत के साथ ही रेटिना के परदे की सटीक स्थिति का पता लगाया जा सकेगा। मरीजों को कम समय में बेहतर उपचार मिल सकेगा।

    जिम्स में रेटिना की जांच के लिए अभी तक फंडस फोटोग्राफी का इस्तेमाल होता था, जिसमें रेटिना की फोटो खींची जाती थी। उस फोटो के आधार पर डाक्टर डायबिटिक रेटिनोपैथी की स्टेज का पता लगा कर निर्णय लेते थे कि मरीज को उपचार की जरूरत है या नहीं। अब यह काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा किया जाएगा। इससे जांच करने के साथ मरीज के आंख की स्थिति को एआई देखकर बताएगा कि मरीज को उपचार की जरूरत है या फिर नहीं और दोबारा जांच के लिए कब आना है बताएगा।

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    डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच के लिए फंडस फोटोग्राफी मशीन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का साफ्टवेयर डाला गया है। इससे डायबिटिक रेटिनोपैथी का परदे पर का असर बता सकेगा। एम्स नई दिल्ली के साथ मिलकर जिम्स ने डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच और उसकी स्टेजिंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से शुरू की है। सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा अभी तक सिर्फ दिल्ली एम्स में ही मिल रही थी।

    कम समय में बेहतर उपचार मिलेगा

    जिम्स में एआई आधारित जांच नहीं होने के कारण पहले मरीजों को दिल्ली एम्स या फिर शहर के निजी अस्पतालों में जाना पड़ता था। इससे मरीजों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था। साथ ही मरीजों के जेब का खर्च अधिक बढ़ने के अलावा समय की बर्बादी होती थी। जिम्स शुरू होने से प्रति मरीज करीब 20 से 30 मिनट समय की बचत होगी।

    फंडस फोटोग्राफी में एआइ की मदद से डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच शुरू होने से मरीज और डाक्टर दोनों के समय की बचत होगी और उन्हें सटीक उपचार दिया जा सकेगा। - डॉ. कृष्ण कुलदीप गुप्ता, प्रो. व विभागाध्यक्ष नेत्ररोग विभाग, जिम्स