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    11 साल बाद फिर माउंट एवरेस्ट की चोटी फतह करेंगे पर्वतारोही अर्जुन वाजपेयी

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 02 Apr 2021 08:56 PM (IST)

    सुनाक्षी गुप्ता नोएडा विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाले सबसे कम

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    11 साल बाद फिर माउंट एवरेस्ट की चोटी फतह करेंगे पर्वतारोही अर्जुन वाजपेयी

    सुनाक्षी गुप्ता, नोएडा :

    विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाले सबसे कम उम्र के पर्वतारोही अर्जुन वाजपेयी को देश ही नहीं, दुनियाभर में पहचाना जाता है। वह विश्व की पांचवीं सबसे ऊंची चोटी माउंट मकालू (8,463 मीटर ऊंची), विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से, चोटी मानसलु पर तिरंगा लहरा चुके हैं। अर्जुन अब नए सिरे से एक बार फिर माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने जा रहे हैं। वह इस बार बिना आक्सीजन सिलेंडर के चढ़ाई करेंगे। वह 4 अप्रैल को दिल्ली से काठमांडू के लिए रवाना होंगे और लाइव होकर फ्लैग आफ करेंगे। 22 मई को अंतिम समिट के लिए रवाना होंगे।

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    ----------- 11 साल बाद दोहराएंगे इतिहास अर्जुन वाजपेयी ने 2010 में 16 साल की उम्र में सबसे पहले माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की थी। वर्तमान में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8,848.86 मीटर है। जिसे फतह करने के लिए वह चार बेस कैंप तक जाएंगे। अर्जुन 8 अप्रैल को पहले बेसकैंप के लिए रवाना होंगे, 10 दिन की चढ़ाई कर वह 4650 मीटर ऊंचाई का रास्ता पार करेंगे। 25 अप्रैल को पहला रोटेशन करेंगे। इसके बाद दूसरे बेस कैंप (5800 मीटर) पर 4 मई, तीसरे बेस कैंप (6400 मीटर) पर 10 मई, चौथे बेस कैंप (7500 मीटर) पर 17 मई को पहुंचेगे। 22 मई को अंतिम समिट पर पहुंचेंगे। अर्जुन बताते हैं कि वह 11 साल पहले भी 22 मई को ही अंतिम समिट पर पहुंचे थे, इस बार भी उनकी कोशिश रहेगी कि वह इतिहास दोहरा सके। हालांकि पहाड़ों की चढ़ाई में मौसम की अहम भूमिका रहती है। 28 मई को वह वापसी शुरू करेंगे।

    ---------- कंचनजंगा पर कर चुके हैं बिना आक्सीजन सिलेंडर के चढ़ाई ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रह रहे पर्वतारोही अर्जुन वाजपेयी 2016 में दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को बिना आक्सीजन सिलेंडर के फतह कर चुके हैं। अब वह दूसरी बार यह प्रयोग करने जा रहे हैं। इतने ऊंचे शिखर पर पहुंचने के लिए हिम्मत के साथ ही आक्सीजन सिलेंडर की भी आवश्यकता पड़ती है। ऊंचाई पर पहुंचने पर आक्सीजन की भारी कमी महसूस होती है। ऐसे में पर्वतारोहियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण चीज होती है। वह इस बार सिर्फ एक सहयोगी के साथ ही चढ़ाई करेंगे।