'दहेज प्रथा को समाप्त करना प्रमुख उद्देश्य'
नोएडा, संवाददाता : 'जब तक दहेज रूपी दानव का खात्मा नहीं किया जाता, समाज का विकास संभव नहीं है। दहेज प्रथा को समाप्त करना प्रमुख उद्देश्य है। लोगों को खुद पहल करनी होगी। जरूरी है कि हम बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करें।' यह बातें अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेश कुमार वशिष्ठ, ठिकली वाले ने कही। वह शुक्रवार को परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में इंदिरा गांधी कला केन्द्र सेक्टर छह में आयोजित एक कार्यक्रम में उपस्थित थे।
अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एआईसीसी के सचिव डा. भोला पांडे थे। उन्होंने कहा कि देश में सबसे ज्यादा संख्या ब्राह्मणों की है। बावजूद उनकी उपेक्षा की जाती है। इसके लिए उन्हें एकजुट होना पड़ेगा। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष पंडित चमन शर्मा ने कहा कि गरीब कन्याओं की शादी कराना और दहेज प्रथा को समाप्त करना ही उनका लक्ष्य है। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व मंत्री पंडित किशोर उपाध्याय ने की। इस मौके पर आसाम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर सत्यमित्र दुबे, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व कार्यकारी निदेशक पंडित अजीत दुबे, कैलाश अस्पताल के सीएमडी डा. महेश शर्मा, पुलिसकर्मी आलोक शर्मा और तेजस्वी शर्मा को ब्राह्मण रत्न से सम्मानित किया गया। गरीब महिलाओं को सिलाई मशीन दी गई। मेधावी छात्र-छात्राएं पुरस्कृत हुए। कार्यक्रम का संचालन प्रमोद शर्मा ने किया और राम अवतार शर्मा ने भगवान परशुराम के भजन सुनाए। इस मौके पर दिल्ली के मेयर अनिल शर्मा, जिलाध्यक्ष प्रमोद शर्मा, नोएडा अध्यक्ष अनुज शर्मा, मनोज शर्मा लखनावली, ब्लॉक प्रमुख कमल शर्मा और अजय शर्मा सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।
वहीं नोएडा परशुराम समाज ने सेक्टर-दस में परशुराम जयंती के मौके पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया। इसमें समाज के अध्यक्ष आरसी शर्मा ने कहा कि परशुराम के बताए रास्ते पर चलकर ब्राहमण समाज का भला हो सकता है। विनोद पांडेय ने परशुराम के बारे में कई बातों लोगों को बताई। इस मौके पर सुनील वशिष्ठ, राजेंद्र अवाना, पुरुषोत्तम शर्मा, तरुण भारद्वाज, विनोद शर्मा, जगदीश शर्मा, बनारसीदास शर्मा, विमलकांत शर्मा, राकेश शर्मा, सुनील राणा, मनोज भारद्वाज, नरेंद्र सिंह राणा, प्रदीप खारी, डॉ. एसपी जैन, पीएस जैन, आरके वर्मा व सुभाष गुप्ता सहित काफी लोग मौजूद रहे।
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