साबौता मुस्तफाबाद गांव के चार तालाबों का नामोनिशान नहीं
संवाद सहयोगी, जेवर : जेवर तहसील में जलस्तर लगातार कम होने के कारण प्रदेश सरकार व भूजल संरक्षण एजेंसि ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, जेवर : जेवर तहसील में जलस्तर लगातार कम होने के कारण प्रदेश सरकार व भूजल संरक्षण एजेंसियों ने जेवर क्षेत्र को डार्क जोन घोषित कर रखा है। इसके बाद भी जिला प्रशासन इस क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा। क्षेत्र के अधिकतर तालाबों पर ग्रामीणों ने अतिक्रमण कर लिया है।
जेवर तहसील के साबौता मुस्तफाबाद गांव में भूमि बंदोबस्त के समय जलस्तर बनाए रखने के लिए गांव के आसपास पांच तालाब बनाए गए थे, लेकिन गांव के लोगों ने चार तालाबों पर अतिक्रमण कर उनका नामोनिशान तक मिटा दिया है। सरकारी रिकार्ड में गांव में पांच तालाब हैं, लेकिन मौके पर एक तालाब है, वह भी अतिक्रमण की चपेट में घिरता जा रहा है और जिला प्रशासन इससे बेखबर है।
रिकार्ड के अनुसार तालाब गाटा संख्या 239 रकवा 0.152, गाटा संख्या 241 रकवा 0.177, गाटा संख्या 251 रकवा 0.063 व गाटा संख्या 261 रकवा 0.443 पर ग्रामीणों ने पूरी तरह कब्जा कर लिया है। मौके पर एकमात्र बचे तालाब गाटा संख्या 212 रकवा 1.638 के अधिकांश भाग पर अतिक्रमण हो चुका है। कुछ ग्रामीणों ने कई बार तहसील प्रशासन से गांव के तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए शिकायत की। इसके बाद प्रशासन ने 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेवर तहसील के सभी गांवों के तालाबों का सर्वे कराया था। सर्वे के बाद प्रशासन ने साबौता गांव के तालाबों पर अतिक्रमण के आरोप में 198 लोगों के खिलाफ 122 बी के तहत कार्रवाई की थी। तालाबों का अस्तित्व समाप्त होने के बाद गांव व आसपास के क्षेत्र में जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है।
साबौता गांव के चारों तरफ तालाब थे। इन तालाबों में पूरे वर्ष पानी भरा रहता था। वर्तमान में गांव के चार तालाबों का मौके से नामोनिशान मिट गया है। जल संचयन न होने से क्षेत्र को डार्क जोन घोषित कर दिया गया।
-राजपाल ¨सह, ग्रामीण
ग्रामीणों ने तालाब की जमीन पर मकान बना लिए हैं। जो तालाब बचे हैं, उनमें गंदगी की भरमार है। तालाब के पास रहने वालों ने अपने घरों के शौचालयों के पाइप तालाब में छोड़ रखे हैं। इस कारण तालाबों में गंदगी जमा हो गई है।
-ओमवीर ¨सह, ग्रामीण
दो दशक पहले तक गांव के तालाब पानी से लबालब भरे रहते थे। ग्रामीणों के पशुओं को पानी की किल्लत नहीं होती थी। तालाबों का अस्तिव समाप्त होने के कारण आज किसानों के पशुओं को गर्मी के मौसम में पानी तक नहीं मिलता।
-खजानी देवी, ग्रामीण
तालाबों पर कब्जा करने वाले दबंगों के खिलाफ प्रशासन भी कोई कार्रवाई नहीं करता। जिला प्रशासन को तालाबों से अतिक्रमण हटाकर इनका सुंदरीकरण करवाना चाहिए, ताकि इनमें बरसात का पानी एकत्र हो सके।
-वीरपाल ¨सह, ग्रामीण
क्षेत्र के तालाबों का सर्वे करवाने के बाद जिला प्रशासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी। गांव के तालाबों पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। तालाबों को कब्जा मुक्त कर उनकी खोदाई करवाई जाएगी, ताकि उनमें बरसात का पानी संचय हो।
-शुभी काकन, उपजिलाधिकारी, जेवर

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