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    गलत इंजेक्शन लगाने से मरीज के हाथ में बन गया पस

    By Edited By:
    Updated: Tue, 01 Nov 2016 12:57 AM (IST)

    -फोटो-31 एनडीपी-14 से 16 -आपातकालीन विभाग ने ड्रेसिंग से इंकार करते हुए ओपीडी में बुलाया -मजबूरन

    -फोटो-31 एनडीपी-14 से 16

    -आपातकालीन विभाग ने ड्रेसिंग से इंकार करते हुए ओपीडी में बुलाया

    -मजबूरन निजी अस्पताल में करानी पड़ी ड्रेसिंग

    जागरण संवाददाता, नोएडा:

    सेक्टर 30 स्थित जिला अस्पताल के डॉक्टर द्वारा इंजेक्शन लगाने में बरती गई लापरवाही से मरीज के हाथ में पस(मवाद) बन गया। इससे पूरे हाथ में सूजन आ गई। मरीज का आरोप है कि सोमवार को जब वह आपातकालीन विभाग में ड्रेसिंग के लिए पहुंचा, तो डॉक्टरों ने इंकार कर दिया। कहा, ड्रेसिंग कराना है तो ओपीडी में आना पड़ेगा। इससे मजबूरन निजी अस्पताल में ड्रेसिंग करानी पड़ी।

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    मूलरूप से उन्नाव जिले के बांगरमऊ निवासी रमाकांत गत आठ नौ वर्ष से हरौला के सेक्टर-05 में रहते हैं। वह एक निजी कंपनी में चेकर का काम करते हैं। बीते 16 अक्टूबर को रमाकांत को बुखार होने के साथ दौरा आ गया था। इसके बाद जिला अस्पताल लाया गया। जहां डॉक्टरों ने हाथ में इंजेक्शन लगाने के साथ ग्लूकोज भी चढ़ाया। इसके बाद उसी दिन सिर के ऑपरेशन के लिए सफदरजंग रेफर कर दिया। मरीज का आरोप है कि दो-तीन दिनों बाद इंजेक्शन वाले स्थान पर हाथ में पस बन गया। इससे सूजन के साथ तेज दर्द होने लगा। सफदरजंग से डिस्चार्ज होने के बाद रमाकांत सिर व हाथों की ड्रेसिंग कराने के लिए जिला अस्पताल के आपातकालीन विभाग आए। इसके बाद डॉक्टरों ने ड्रेसिंग से इंकार कर दिया।

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    -यहां 15-16 दिन पहले इलाज के लिए आया था। डॉक्टर ने हाथ में गलत इंजेक्शन दिया था, ग्लूकोज भी चढ़ाया था। बाद में इसमें पस बन गया। अब ड्रेसिंग से इंकार कर रहे हैं।

    -रमाकांत, मरीज

    -मैं रमाकांत का पड़ोसी हूं। पहले दिन भी मैं ही इसे जिला अस्पताल लाया था। जिस जगह डॉक्टर ने इंजेक्शन दिया था, उस स्थान पर मवाद बन गई। सफदरजंग से डिस्चार्ज होने के बाद यहां ड्रेसिंग के लिए आए थे, लेकिन नहीं हुई।

    -यासीन, रमाकांत के पड़ोसी।

    -सोमवार को छुंट्टी का दिन था। इस वजह से ओपीडी में ड्रेसिंग के लिए बुलाया गया होगा। अगर मरीज के हाथ में पस बन गया, तो जहां रेफर किया गया था, वहीं इसका इलाज होना चाहिए था।

    -डॉ. नगेन्द्र मोहन माथुर, सीएमएस जिला अस्पताल।

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    धर्मेन्द्र मिश्रा