पुलिस के लिए गले की हड्डी बनेगा गोहत्या केस
- 60 दिन में पुलिस को एफआइआर में चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट लगानी होगी - दोनों की स्थित में राजनीति ...और पढ़ें

- 60 दिन में पुलिस को एफआइआर में चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट लगानी होगी
- दोनों की स्थित में राजनीतिक बवंडर खड़ा होने की है पूरी संभावना
ललित विजय, नोएडा : इकलाख पक्ष पर गोहत्या का केस पुलिस के गले की हड्डी बनेगा। पुलिस संभवत: शुक्रवार यानी 15 जुलाई को इस संबंध में केस दर्ज करेगी। उत्तर प्रदेश में गोहत्या और पशु क्रूरता अधिनियम में सात साल तक की सजा है। इस कारण इस केस में पुलिस के बाद एफआइआर दर्ज करने के बाद अन्वेषण के लिए 60 दिन का समय होगा। यानी पुलिस को 15 सितंबर से पहले इस केस में चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट लगाना अनिवार्य होगा। उस वक्त ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का समय और नजदीक आ चुका होगा। इस कारण दोनों की स्थिति में राजनीतिक बवंडर खड़ा होना तय है। हालांकि पुलिस अधिकारियों का दावा है कि सत्यता के आधार पर ही अन्वेषण होगा।
सुप्रीम कोर्ट के वकील भंवर सिंह जादौन का कहना है कि पुलिस बिसाहड़ा के ग्रामीणों की शिकायत पर इकलाख पक्ष के लिए खिलाफ एफआइआर दर्ज करने से मना कर दी थी। इससे साफ है कि पुलिस इकलाख पक्ष को गोहत्या का दोषी नहीं मानती है। इस कारण 99 प्रतिशत तक इस बात की संभावना है कि पुलिस इस केस में फाइनल रिपोर्ट लगाएगी।
फाइनल रिपोर्ट की स्थित में सरकार के दबाव में काम करने का लगेगा आरोप
अगर पुलिस ने गोहत्या केस में फाइनल रिपोर्ट लगा दी तो भाजपा समेत विपक्षी पार्टियां उसपर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाएंगी। भाजपा लगातार प्रदेश सरकार पर बिसाहड़ा कांड में एक पक्षीय कार्रवाई का आरोप लगा रही है। इससे साफ है कि फाइनल रिपोर्ट लगने पर भाजपा इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करेगी। साथ ही एक पक्षीय कार्रवाई के आरोपी को फाइनल रिपोर्ट के आधार पर पुख्ता करने की कोशिश करेगी।
चार्जशीट लगाने पर सवालों में घिर जाएगी सरकार
वैसे इस बात की संभावना बेहद कम है कि गोहत्या के केस में पुलिस चार्जशीट लगाएगी। अगर चार्जशीट लगाई गई तभी तब भी भाजपा समेत विपक्षी पार्टियां सरकार को घेरेंगी। चार्जशीट लगाने की स्थित में सपा सरकार पर गोहत्या करने पर अत्यधिक मेहरबानी दिखाना का आरोप लगेगा। ध्यान रहे कि सपा सरकार ने इकलाख के परिजन को तीन फ्लैट और 80 लाख रुपये का मुआवजा दिया था। ऐसे स्थिति में पुलिस के लिए चार्जशीट लगाना सरकार को कटघरे में खड़ा कर देगा।
फाइनल रिपोर्ट लगने पर प्रोटेस्ट याचिका कर सकेंगे दायर
वरिष्ठ वकील भंवर सिंह जादौन का कहना है कि पुलिस फाइनल रिपोर्ट लगाती है कि वादी प्रोटेस्ट याचिका दायर कर सकते हैं। इस याचिका के आधार पर कोर्ट फाइनल रिपोर्ट को इंकार कर केस का ट्रायल कर सकती है। आरुषि हत्याकांड में ऐसा ही हुआ है। ट्रायल के दौरान अगर कोर्ट आरोपियों पर आरोप सही पाती है तो सजा सुना सकती है।
गोहत्या के साथ इन अधिनियम के तहत भी होगी कार्रवाई
- यूपी गोशाला अधिनियम 1964
- पशु क्रूरता अधिनियम 1960
- सेक्टर 7 क्रिमिनल लॉ एमेंडमेंट एक्ट 1955
- गैंगस्टर एक्ट
गोहत्या पर यह है सजा का प्रावधान
गोहत्या निवारण अधिनियम 1955 की धारा 3-5-8 के तहत गोवंश हत्या पर एफआइआर दर्ज होती है। इसमें दो से सात साल तक की सजा है। साथ ही एक हजार रुपये का जुर्माना लग सकता है।
'कोर्ट से इकलाख पक्ष पर गोहत्या की एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। आदेश की कांपी जारचा थाना पहुंचते ही मामला दर्ज कर लिया जाएगा। सत्यता के आधार पर केस का अन्वेषण होगा। - धर्मेंद्र सिंह, एसएसपी

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