किसानों ने दिया पीएम और सरकार को धन्यवाद
मुजफ्फरनगर जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा कर किसानों
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा कर किसानों के भीतर पनप रही नाराजगी को काफी हद तक शांत कर दिया। किसान संगठनों और नेताओं की इसको लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं दी है। रालोद नेता ने इस निर्णय का स्वागत किया है, जबकि किसान नेता इसे एकता की जीत बता रहे है।
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किसान विरोधी कानूनों की वापसी का स्वागत करते हैं। आंदोलन में बड़ी ताकत होती है। आंदोलन को लेकर किसानों पर तरह-तरह के बयान दिए गए, लेकिन किसानों ने अपना धैर्य नहीं छोड़ा। लोकतंत्र में तानाशाही की जगह नहीं है। आंदोलन करने से ही देश के अन्नदाता को जीत मिली है। एक वर्ष तक किसानों ने अंहिसक तरीके से आंदोलन किया है।
-अभिषेक सिंह गुर्जर, पश्चिमी उप्र प्रवक्ता, रालोद।
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प्रधानमंत्री के निर्णय का स्वागत करते हैं। भले ही वह काफी देर से लिया गया है। सरकार बेवजह ही कृषि कानूनों को किसानों पर थोपना चाहती थी, परंतु किसानों की एकता के आगे सरकार को झुकना पड़ा है। 22 सितंबर 2020 से किसान गर्मी, सर्दी व बरसात के मौसम में भी दिल्ली बार्डर पर डटे हुए थे। आंदोलन में मारे गए किसानों को सम्मान देते हुए उनके परिवार को आर्थिक सहायता व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देनी की मांग की है।
संजीव तोमर, राष्ट्रीय अध्यक्ष भाकियू तोमर।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की है। देश में 90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण के बावजूद कृषि क्षेत्र में असमानता थी। कृषि के लिए बेहतर ढांचागत बाजार और खाद्य भंडारण की कमी से देश जूझ रहा था। इसलिए देश में कृषि सुधार के कानूनों की आवश्यकता पड़ी थी, लेकिन देश में इनके कानूनों के खिलाफ चले लंबे आंदोलन के कारण इनको रद्द किया गया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
-अशोक बालियान, चेयरमैन, पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
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तीनों काले कृषि कानूनों का वापस होना अन्नदाता की जीत है। सरकार के खिलाफ लड़ाई में रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी किसानों के साथ मजबूती से खड़े रहे। जब सरकार आंदोलन को खत्म करना चाहती थी, तब जयंत चौधरी ने ताकत देने का काम किया। यह सबकुछ देश के अन्नदाता की शक्ति और संघर्ष का परिणाम है।
-प्रभात तोमर, जिलाध्यक्ष रालोद
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प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानून वापसी की घोषणा स्वागत योग्य है। कई बार हार जीत से बड़ी होती है। जनता की भावनाओं का सम्मान होना चाहिए। देर से ही सही आखिरकार प्रधानमंत्री ने किसानों की भावनाओं का सम्मान किया। प्रधानमंत्री के इस निर्णय पर उनका आभार व्यक्त करते हैं।
-प्रमोद कुमार, संयोजक, आंदोलन जनकल्याण