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    सत्य बोलना ही जीवन का अर्थ है : मोरारी बापू

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 27 Dec 2020 10:35 PM (IST)

    तीर्थनगरी शुकतीर्थ स्थित गंगा किनारे चल रही श्रीराम कथा के समापन पर रविवार को विश्वविख्यात कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि सत्य बोलो वरना मत बोलो। सत्य बोलो यही जीवन का अर्थ है। प्रेम को प्रकट करने में कठिनाई होती है। महापुरुषों का स्मरण करने से घर शुद्ध हो जाता है। संघर्ष अग्नि प्रकट करता है। संघर्ष विरोध प्रकट करता है। बापू ने कहा कि आदमी अपने कर्मो से मरता है। उसे कोई नहीं मारता है। हम सब काल के ग्रास हैं। सब अपने कर्मो के कारण ही मरते हैं। गाय अर्थ का प्रतीक है। समृद्धि का प्रतीक है।

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    सत्य बोलना ही जीवन का अर्थ है : मोरारी बापू

    जेएनएन, मुजफ्फरनगर। तीर्थनगरी शुकतीर्थ स्थित गंगा किनारे चल रही श्रीराम कथा के समापन पर रविवार को विश्वविख्यात कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि सत्य बोलो, वरना मत बोलो। सत्य बोलो, यही जीवन का अर्थ है। प्रेम को प्रकट करने में कठिनाई होती है। महापुरुषों का स्मरण करने से घर शुद्ध हो जाता है। संघर्ष अग्नि प्रकट करता है। संघर्ष विरोध प्रकट करता है। बापू ने कहा कि आदमी अपने कर्मो से मरता है। उसे कोई नहीं मारता है। हम सब काल के ग्रास हैं। सब अपने कर्मो के कारण ही मरते हैं। गाय अर्थ का प्रतीक है। समृद्धि का प्रतीक है। जीव, वैष्णव धर्म का पालन करें। बापू ने कहा कि लंका असज्जनों की नगरी है, जिसमें एक सज्जन निवास करता है। अयोध्या सज्जनों की नगरी है जिसमें एक असज्जन निवास करती है। दांतों के बीच में जैसे जीभ रहती है वैसे ही सज्जन, कठोर लोगों के बीच में रहते हैं। ईश्वर को जुबान में शक्ति पसंद नहीं है। धर्म को काम से तकलीफ होती है। जो शुद्ध प्रेम है, वही परम धर्म है। देवतारूपी सेवा के लिए भरत और साधुजनों की सेवा के लिए श्रीराम आए हैं। लक्ष्मण धर्म हैं, भरत काम हैं। प्रेम बेपर्दा होना चाहिए। बापू ने श्रीराम चरित मानस का सार बताते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम का उच्चारण करो, श्रीराम का स्मरण करो, श्रीराम को गाओ और समय मिले तो श्रीराम की कथा सुनो। श्रीराम की महिमा के कारण ही गति मिलती है। बापू ने कथा के बीच में कुछ यू फरमाया कि..

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    सलीका पर्दे का भी अजीब रखा है, जो निगाहें कातिल हैं उन्हें खुला रखा है।

    हम अल्फाजों को ढूंढते रहे और वो आंखों में गजल कह गए।

    मेरे बस में अगर होता तो हटाकर चांद तारे नीले आकाश में तेरी आंखें लगा दूं।

    कुछ ऐब मुझमें इसलिए है मैंने सोचा की तुझसे आगे निकल जाऊं। राम जानकी विवाह प्रसंग सुन झूम उठे श्रद्धालु

    मोरारी बापू ने श्रीराम कथा के दौरान राम-जानकी विवाह प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जब श्रीराम-लक्ष्मण राजा जनक के यहां पहुंचे तो जानकी अपनी सखियों के साथ भवानी मंदिर मे गौरी मां की पूजा करने आई। वहां पर दोनों राजकुमारों को देख सब दंग रह जाते हैं। सखी जानकी से बोली कि वे सबको प्रिय लग रहे हैं। बापू ने 'अखियों के झरोखे से मैंने देखा श्रीराम को' सुनाया तो श्रद्धालु झूमने लगे और नाचने पर विवश हो गए। बापू ने श्रीराम विवाह, श्रीराम वनवास, सुग्रीव मित्रता, समुद्र तट पर रामेश्वर मंदिर की स्थापना, लंका दहन, हनुमानजी का वाटिका को नष्ट करना, रावण मरण, विभीषण का राजतिलक व श्रीराम राजतिलक की कथा सुनाई।