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    बच्चों से लेकर युवाओं तक को स्मार्टफोन की लत दे रही डिप्रेशन सहित कई बीमारियां, बचाव के लिए रखें यह ध्यान

    By Jagran News Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Sat, 18 Oct 2025 05:26 PM (IST)

    आजकल बच्चे और युवा स्मार्टफोन के आदी हो रहे हैं, जिससे उनके स्वभाव और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। चिकित्सक बताते हैं कि माता-पिता का कम समय देना और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसका मुख्य कारण है। बच्चों को मोबाइल से दूर रखने के लिए माता-पिता को उनके साथ समय बिताना चाहिए और उन्हें बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। 

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     बच्चों से लेकर युवाओं तक को स्मार्टफोन की लत दे रही डिप्रेशन (Image Source: Freepik)

    संवाद सहयोगी, जागरण, मुजफ्फरनगर। बच्चों से लेकर युवाओं तक स्मार्टफोन की लत तेजी से बढ़ रही है। पढ़ाई और खेलकूद छोड़कर बच्चे इंटरनेट, वीडियो और आनलाइन खेलों में उलझे हुए हैं। इसका असर उनके स्वभाव और मानसिक स्थिति पर पड़ रहा है। चिकित्सकों के मुताबिक बच्चों को पर्याप्त समय न देना और उनकी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधियों का न होना इस समस्या की मुख्य वजह है।

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    डाक्टरों का कहना है कि माता-पिता बच्चों के साथ समय बिताएं, उन्हें बाहर खेलने भेजें और पारिवारिक मेलजोल बढ़ाएं। इससे मोबाइल से होने वाले दुष्प्रभाव से काफी हद तक बचा जा सकता है।
    स्वामी कल्याण देव राजकीय जिला चिकित्सालय की मानसिक रोग ओपीडी में रोजाना कई अभिभावक ऐसे पहुंचते हैं, जो अपने बच्चों की स्मार्टफोन की लत से परेशान हैं। बच्चे सुबह उठने से लेकर रात तक फोन में डूबे रहते हैं।
    पढ़ाई-लिखाई में ध्यान नहीं देते और बिना फोन देखे कुछ खाते तक नहीं। मोबाइल छीनने पर वह झगड़ने और उग्र होने लगते हैं।
    कई किशोर कमरे में बंद होकर घंटों आनलाइन गेम खेलते रहते हैं, जिससे वह आर्थिक और मानसिक तनाव में आ जाते हैं। बड़ो का सम्मान और समाज की समझ उन्हें नहीं हो पाती है। पैसे से गेम खेलते-खेलते बच्चे अपराध की ओर चले जाते है।
    मनोचिकित्सक डा. अर्पण जैन का कहना है कि माता-पिता की व्यस्तता और बच्चों को समय न देने से यह लत गहराती जा रही है। आजकल माता-पिता बच्चे के रोने पर उन्हें मोबाइल थमा देते हैं, जो धीरे-धीरे आदत और फिर लत में बदल जाती है। इससे बच्चों का मानसिक विकास रुक जाता है।
    उनमें समझने-समझाने की क्षमता घट जाती है और समाज से जुड़ाव कम होता जा रहा है। युवाओं में भी इंटरनेट माध्यम से तनाव बढ़ रहा है। किसी पोस्ट पर गलत टिप्पणी आने या ग्रुप से निकाले जाने पर वह अपमानित महसूस करते हैं, जिससे अवसाद और चिड़चिड़ापन बढ़ता है।

    यह रखें ध्यान

    मनोचिकित्सक डा. अर्पण जैन का कहना है कि आज इंटरनेट का उपयोग लाभ से अधिक हानि पहुंचा रहा है। बड़ी संख्या में युवा अश्लील सामग्री देख रहे हैं, जिससे उनमें गलत प्रवृत्तियां और मानसिक असंतुलन बढ़ रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि माता-पिता बच्चों के साथ समय बिताएं, उन्हें बाहर खेलने भेजें और पारिवारिक मेलजोल बढ़ाएं। इससे बच्चे मोबाइल और इंटरनेट की लत से दूर होकर स्वस्थ जीवन जी सकेंगे।