शुकतीर्थ में सूख गई बाण गंगा की धारा, संतों में रोष
मुजफ्फरनगर जेएनएन। केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना के तहत भले ही देश भर चलाए गए गंगा

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना के तहत भले ही देश भर चलाए गए गंगा स्वच्छता अभियान में करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हों, लेकिन शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते पौराणिक तीर्थ नगरी शुकतीर्थ में बह रही बाण गंगा सूख गई है। गंगा घाट पर स्नान को लेकर श्रद्धालुओं को परेशानी होने लगी है और दूरदराज क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालु गंगा स्नान किए बगैर ही लौटने लगे है। गंगा में नौका विहार बंद हो गया है। जिससे नगरी के साधु-संतों, दुकानदारों, पुजारियों एवं श्रद्धालुओं में रोष है। श्रद्धालुओं की सूचना पर पहुंचे एसडीएम जानसठ ने गंगा घाट का जायजा लिया।
महाभारत कालीन तीर्थ नगरी शुकतीर्थ में हजारों वर्ष पहले गंगा के किनारे ही श्री शुकदेव जी ने पांडव वंशज राजा परीक्षित को श्रीमद भागवत कथा सुनाई थी और आज उसी गंगा का जल स्तर तेजी से घट रहा है। श्रद्धालुओं को गंगा घाट पर स्नान करने में परेशानी उठानी पड़ रही है और दूरदराज क्षेत्रों से आने वाले अनेक श्रद्धालु गंगा स्नान किए बगैर ही लौटने लगे है। श्रद्धालुओं ने गंगा के जल स्तर को देख जिला प्रशासन को फोन किए। इसके बाद एसडीएम जानसठ जयेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे और गंगा घाट का जायजा लिया। श्री गंगा सेवा समिति के महामंत्री महकार सिंह ने बताया कि गंगा का जल स्तर बढ़ाने के लिए पूर्व जल संसाधन मंत्री डा. संजीव बालियान के माध्यम से 65 करोड़ रुपये की परियोजना बनी थी, लेकिन उनके मंत्री पद से हटते ही परियोजना घटाई में पड़ गई। नमामि गंगे परियोजना से गंगा घाट पर करीब दस करोड़ रुपये की लागत से पक्का घाट, पार्किंग आदि बनाए गए है, लेकिन जब गंगा ही सूखती जा रही तो खाली घाट क्या नगरी की शोभा बढाएंगे।
बंद हो गया गंगा में नौका विहार, पंडित पुरोहित बैठे खाली
गंगा में जल स्तर घटने से गंगा में नौका विहार का संचालन बंद हो गया है और श्रद्धालु मायूस होकर लौटने लगे है। मोटर बोट संचालक जितेंद्र, परमीत, प्रमोद, धर्मेन्द्र, नीटू, शिव कुमार, दीपक, रामकुमार आदि का कहना कि गंगा में जल स्तर घटने से उनका रोजगार भी बंद हो गया। गंगा घाट के पंडित पुरोहित भी खाली बैठे रहते है।
जल स्तर बढ़ाने को हो चुके धरने प्रदर्शन
गंगा का जल स्तर बढ़ाने की मांग को लेकर कई बार धरना-प्रदर्शन हो चुके है। बीते 20 मार्च 2018 से श्री गंगा सेवा समिति के बैनर तले गंगा घाट पर बेमियादी धरना शुरू हुआ था, जिसके आठवें दिन पहुंचे तत्कालीन केंद्रीय नदी एवं गंगा जल सरंक्षण राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने गंगा का जल स्तर बढ़वाने की परियोजना को शीघ्र ही स्वीकृत कराकर कार्य शुरू कराने का आश्वासन देकर धरना समाप्त कराया था, लेकिन चार वर्ष बीतने पर भी कोई कार्रवाई नही हुइ है। इससे नगरी के साधु-संतों में रोष है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।