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    SDM Jayendra Singh: कौन हैं एसडीएम जयेंद्र स‍िंह? योगी सरकार की कार्रवाई से मची खलबली

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 02:31 PM (IST)

    मुजफ्फरनगर के जानसठ में एसडीएम जयेंद्र सिंह को 750 बीघा जमीन के विवादित मामले में निलंबित कर दिया गया है। उन पर रिश्वत लेकर एक पक्ष को लाभ पहुंचाने का आरोप है। जांच समिति ने उन्हें दोषी पाया जिसके बाद शासन ने यह कार्रवाई की। एसडीएम पर पहले मालिकाना हक देने और फिर आदेश वापस लेने के चलते कार्यशैली पर सवाल उठे थे।

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    जयेंद्र सिंह, एसडीएम जानसठ, सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ।- फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। जानसठ क्षेत्र के गांव संभलहेड़ा-इशहाकवाला में स्थित लगभग 750 बीघा जमीन का मालिकाना हक एकपक्षीय करने और फिर आदेश वापस लेने पर शासन से एसडीएम जानसठ जयेंद्र सिंह पर कार्रवाई हुई है। शासन स्तर से उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले की जांच एडीएम प्रशासन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने की थी। बीते दिनों डीएम ने जांच रिपोर्ट शासन को भेजी थी।

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    बता दें कि वर्ष 1962 में बनी डेरावाल कोआपरेटिव फार्मिंग सोसायटी के नाम पर लगभग 700 बीघा से अधिक जमीन दर्ज है। लंबे समय से सोसायटी के सदस्य गुलशन और हरबंस के वारिसों के बीच विवाद चल रहा था। मामला एसडीएम कोर्ट में काफी समय से चल रहा है। जुलाई 2025 को एसडीएम जयेंद्र सिंह ने जमीन के स्वामित्व आदेश एक पक्षीय कर दिए। ग्रामीणों और सोसायटी सदस्यों ने इस पर एतराज जताया। आरोप लगाया कि तीन करोड़ रुपये लेकर आदेश एक पक्षीय किए गए हैं।

    ग्रामीणों ने डीएम को इस मामले में हाईकोर्ट के पुराने आदेश और तहसील रिकार्ड की काफी दी थी। मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग की थी। डीएम उमेश मिश्रा ने इस प्रकरण की जांच के लिए एडीएम प्रशासन संजय सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्य समिति गठित की। जांच समिति ने रिपोर्ट में एसडीएम जयेंद्र सिंह को दोषी मानते डीएम को रिपोर्ट दी। डीएम ने शासन को रिपोर्ट भेजी थी, जिस पर एसडीएम जानसठ को सस्पेंड किया गया है।

    डीएम उमेश मिश्रा ने बताया कि जानसठ में जमीन संबंधित मामले में संभवत: एसडीएम जानसठ पर कार्रवाई हुई है। विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश अभियान कार्यक्रम की व्यस्तता के चलते आदेश नहीं देख पाए हैं।

    पहले आदेश दिए और फिर वापस लिए

    बता दें कि इस मामले में एसडीएम जानसठ की कार्यशैली पर सवाल जांच रिपोर्ट में सवाल उठाए गए। एसडीएम ने पहले जमीन का मालिकाना हक एक पक्ष को दे दिया, लेकिन ग्रामीणों समेत दूसरे पक्ष की ओर से विरोध किया गया। उन्होंने कहा कि समिति की जमीन को एकपक्षीय किया, जो नियम विरुद्ध है। मामला सुर्खियों में आने पर एसडीएम ने अपने आदेश वापस ले लिए, जिससे इस मामले में उनकी कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगा है।

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