प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने गंगा में 30 घड़ियाल छोड़े
प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने हस्तिनापुर वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र के मध्य गंगा बैराज पर गंगा में घड़ियाल प्रजाति को संरक्षित करने के लिए वातावरण अनुकूल मिलने पर वन विभाग व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम के साथ तीन नर व 27 मादा घड़ियाल को गंगा में छोड़ा है। वन विभाग व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम एक माह तक गंगा में घड़ियाल की देखभाल करेगी।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने हस्तिनापुर वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र के मध्य गंगा बैराज पर गंगा में घड़ियाल प्रजाति को संरक्षित करने के लिए वातावरण अनुकूल मिलने पर वन विभाग व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम के साथ तीन नर व 27 मादा घड़ियाल को गंगा में छोड़ा है। वन विभाग व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम एक माह तक गंगा में घड़ियाल की देखभाल करेगी।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजीव कुमार गर्ग, मुख्य वन संरक्षक एनके जानू शनिवार को दोपहर में गंगा बैराज पहुंचे। यहां पर उन्होंने डीएफओ सूरज कुमार के साथ हैदरपुर वेटलैंड में कराए जा रहे विकास कार्यो का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि हैदरपुर वेटलैंड व गंगा बैराज का क्षेत्र वन्य जीवों के लिए विख्यात होता जा रहा है। हजारों किलोमीटर का सफर कर प्रवासी पक्षी यहां पहुंचने शुरू हो गए हैं। यहां गंगा में डाल्फिन की मौजूदगी गंगा के पानी की शुद्धता को खरा साबित करती है। साथ ही गंगा नदी का प्रवाह घड़ियालों के प्राकृतवास हेतु बहुत ही उपयुक्त पाया गया है। शनिवार को प्रधान मुख्य वन सरंक्षक राजीव कुमार गर्ग ने घड़ियाल प्रजनन केंद्र, कुकरैल-लखनऊ से लाए गए 30 घड़ियाल, जिसमें 3 नर व 27 मादा हैं, को लेकर गंगा नदी में छोड़ा। घड़ियाल दुर्लभ वन्य जीव
घड़ियाल वर्तमान में एक दुर्लभ वन्य जीव है तथा इसका जीवितता मानक काफी कम है तथा घड़ियाल को जीवित रहने हेतु काफी संघर्ष करना पड़ता है। घड़ियालों के संरक्षण व प्राकृतवास हेतु टीम ने शुद्ध पानी व रेतीला तट उपयुक्त पाया था। मगरमच्छ व घड़ियाल होते हैं भिन्न
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के कोआर्डिनेटर संजीव यादव व वन क्षेत्राधिकारी मोहन कुमार बहुखंडी ने बताया कि मगरमच्छ व घड़ियाल की प्रजाति भिन्न होती है। उन्होंने बताया कि मगरमच्छ की बनावट साधारण होती है तथा इसके लंबे नुकीले दांत होते हैं व इनका जबड़ा पूरा खुलता है। मगरमच्छ मनुष्य को नुकसान पहुंचाता है, जबकि घड़ियाल की बनावट विशेष होती है। नर घड़ियाल के मुंह पर ऊपर की ओर घड़े की आकृति बनी हुई होती है तथा इसका मुंह एक लंबी चोंच की तरह से होता है व इनके दांत छोटे होते हैं, जिनसे वह मछलियों को ही शिकार बनाता है तथा मनुष्य को नुकसान नहीं पहुंचाता है। यह घड़ियाल यहां से 10 से 20 किमी तक का सफर तय कर सकते है। मादा घड़ियाल रेत में देती है अंडे
लखनऊ के कुकरैल घड़ियाल प्रजनन केंद्र से आये 30 घड़ियालो की उम्र अभी करीब 2 वर्ष की है तथा इनका वजन करीब 5 किलो से 7 किलो तक है तथा इनकी लंबाई भी 120 सेंटीमीटर से 156 सेंटीमीटर है। घड़ियाल पानी व जमीन दोनों पर रहते हैं तथा मादा घड़ियाल रेत में ही अंडे देती है।
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