Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सांप्रदायिक दंगा: साक्ष्य के अभाव में 10 आरोपी दोषमुक्त, 2013 से न्यायालय में विचाराधीन था मामला

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 12:02 AM (IST)

    मुजफ्फरनगर में 2013 के सांप्रदायिक दंगे से जुड़े एक मामले में न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में 10 आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया। यह मामला 2013 से न्यायालय में चल रहा था जो नंगला मंदौड़ महापंचायत से लौटते समय काकड़ा गांव के किसानों की मौत से संबंधित था। अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में विफल रहा और गवाह भी अपने बयानों से पलट गए।

    Hero Image
    सांप्रदायिक दंगा: साक्ष्य के अभाव में 10 आरोपित दोषमुक्त

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। सांप्रदायिक दंगे से जुड़े एक मामले में साक्ष्य के अभाव में न्यायालय ने 10 आरोपितों को दोषमुक्त किया है। वर्ष 2013 से यह मामला न्यायालय में विचाराधीन था।

    नंगला मंदौड़ महापंचायत से लौटते समय काकड़ा गांव के किसानों की मौत हो गई थी। अपर सत्र न्यायालय-5, विशेष न्यायालय गैंग्सटर एक्ट के पीठासीन अधिकारी काशिफ शेख ने सुनवाई की।

    सात सितंबर 2013 को नंगला मंदौड़ पंचायत से लौटते समय पुरबालियान गांव में काकड़ा गांव के किसानों की मौत हो गई थी। इसके बाद गांव में तनाव बन गया था। वादी इकबाल ने नौ सितंबर 2013 को गांव के ही आरोपितों के विरुद्ध तहरीर दी थी। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वहीं, नूर मोहम्मद की ओर से भी इस मामले में तहरीर आई थी। दोनों तहरीर पर जांच के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। जिसमें पुलिस ने आरोपी कौटिल्य उर्फ कोकिल, बबलू, टिंकू, विपिन, कल्लू, पूरण, अनिल, कोमल, राजा, धन्ना के खिलाफ धारा 153ए में 25 अक्टूबर 2018 को आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया था। 

    प्रकरण की सुनवाई अपर सत्र न्यायालय-5, विशेष न्यायालय गैंग्सटर एक्ट के न्यायालय में हुई। अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित नहीं कर पाया। गवाह भी पक्षद्रोही हो गए, जिसके चलते साक्ष्य के अभाव में न्यायालय ने सभी 10 आरोपितों को दोषमुक्त करार दिया। अधिवक्ता नरेंद्र सिंह ने बताया कि न्यायालय ने सुनवाई के बाद साक्ष्य के अभाव में दस आरोपितों को दोषमुक्त किया है।

    मुकर गए थे गवाह

    गवाहों और बचाव पक्ष ने कहा कि उस समय दरोगा ने उनका नाम लिख दिया होगा। जिस दिन यह घटना हुई। वह कपड़ा बेचने के लिए दिल्ली गए हुए थे। वादी ने कहा कि शाहपुर कैंप में दो कोरे कागज पर कुछ लोगों ने उनके हस्ताक्षर करा लिए थे। मुकदमे की मुख्य फाइल पहले की पूर्ण हो चुकी है, जबकि धारा 153ए में सुनवाई चल रही थी।

    तीन हत्या के बाद भड़का था जिले में दंगा

    जानसठ क्षेत्र के गांव कवाल में सचिन और गौरव समेत शाहनवाज हत्याकांड के बाद जनपद में सांप्रदायिक दंगा भड़का था, जिसमें 60 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जबकि 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।

    दंगे के दंश के कारण हजारों लोग विस्थापित हो गए थे। जनपद में यह दंगा 27 अगस्त से 17 सितंबर तक तनावपूर्ण माहौल बना रहा था। तब जनपद में कर्फ्यू लगाया था।