तिलक की रस्म में दूल्हे ने कह दी ऐसी बात, मेहमान पीटने लगे तालियां, दुल्हन बोली- हर लड़की को मिले ऐसा…
मुजफ्फरनगर में दहेज प्रथा के खिलाफ एक और मिसाल सामने आई है। सहारनपुर के प्रवीण कुमार ने अपनी तिलक में मिले साढ़े तीन लाख रुपये दहेज लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे और उनका परिवार दहेज प्रथा के खिलाफ हैं। इससे पहले अवधेश राणा ने भी 31 लाख रुपये लौटाए थे। दुल्हन रश्मि ने पति के फैसले की सराहना की और कहा कि हर लड़की को ऐसा ससुराल मिलना चाहिए।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। ये बदलाव का दौर है, दहेज प्रथा नष्ट करने को समाज में जागरूकता बढ़ी है, खासकर युवाओं की सोच में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
यह किसी के दबाव में नहीं, बल्कि स्वेच्छा से समाज को नई दिशा प्रदान करने वाला है। यही वजह है कि एक सप्ताह के भीतर एक और दूल्हे ने दहेज में दी जा रही धनराशि को लेने से इन्कार कर दिया और हाथ जोड़कर विनम्रता से कहा, मैं और मेरा परिवार दहेज प्रथा के खिलाफ हैं।
दरअसल, जनपद सहारनपुर के गांव संभलहेड़ी निवासी प्रवीण कुमार पुत्र सुखपाल का रिश्ता चरथावल क्षेत्र के गांव बुड्ढाखेड़ा निवासी राजकुमार की पुत्री रश्मि से तय हुआ। रविवार की रात गांव बुड्ढाखेड़ा स्थित बैंक्वेट हाल में विवाह समारोह संपन्न हुआ।
तिलक की रस्म के दौरान वधू पक्ष द्वारा साढ़े तीन लाख रुपये दिए गए, लेकिन दूल्हा प्रवीण कुमार ने विनम्रता से हाथ जोड़कर कहा कि हमें ये रुपये नहीं चाहिए। मैं और मेरा परिवार दहेज प्रथा के खिलाफ हैं। रिश्तों में कड़वाहट घोलने वाली दहेज प्रथा बंद होनी चाहिए। जिससे भ्रूण हत्या पर भी रोक लग सके।
दूल्हे की इस सराहनीय पहल का सभी मेहमानों ने ताली बजाकर स्वागत किया। इस पहल में दूल्हे के स्वजन का भी सहयोग रहा। प्रवीण का यह निर्णय उन युवाओं और परिवारों के लिए बड़ा संदेश है, जो दहेज की मांग करते हैं और नारी का उत्पीड़न करने पर उतर जाते हैं।
विवाह संपन्न होने पर दुल्हन को साथ लेकर दूल्हा प्रवीण व बराती अपने गांव लौट गए। बता दें कि गत 22 नवंबर को ही बुढ़ाना क्षेत्र के गांव नगवा निवासी अवधेश राणा ने भी शादी में मिले 31 लाख रुपये लौटाकर दहेज प्रथा के खिलाफ वर्तमान समय में युवाओं की सोच में आते बदलाव को लेकर मिसाल पेश की थी। अवधेश की शादी सहारनपुर जिले के गांव भायला निवासी अदिति सिंह के साथ हुई थी। अदिति अपने नाना के यहां मुजफ्फरनगर के गांव शाहबुद्दीनपुर में रहती थी।
काश, हर लड़की को ऐसी ही ससुराल मिले
दुल्हन रश्मि भी मानती हैं कि मां-बाप अपनी बेटियों को पढ़ाते हैं, बाद में उसकी शादी के लिए पूरे जीवन की कमाई लगा देते हैं। दहेज प्रथा पूरी तरह खत्म होनी चाहिए। उनके पति और ससुराल वालों ने दहेज में रुपये लेने से इन्कार करके दिल जीत लिया। काश, हर लड़की को ऐसी ही ससुराल मिले।

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