हत्यारोपित को पांच वर्ष की सजा, 10 हजार जुर्माना
हत्या के आरोप में जमानत पर बाहर चल रहे कल्लू को गैंगस्टर कोर्ट ने सोमवार को पांच वर्ष की सजा सुनाई है। साथ ही दस हजार जुर्माना लगाया है।

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। हत्या के आरोप में जमानत पर बाहर चल रहे कल्लू को गैंगस्टर कोर्ट ने सोमवार को पांच वर्ष की सजा सुनाई है। साथ ही दस हजार जुर्माना लगाया है।
जानसठ के मिटू उर्फ प्रवेंद्र व कल्लू ने 8 जून, 1997 को वादी कल्याण सिंह पुत्र नाहर सिंह निवासी राजपुर कलां थाना जानसठ के भाई नरेंद्र की तमंचे से गोली मारकर हत्या कर दी थी। कुछ दिन बाद ही हत्याकांड के गवाह चरण सिंह के भांजे की भी मिटू व कल्लू ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। जानसठ थाना के तत्कालीन प्रभारी अजय कुमार ने दोनों आरोपित मिटू उर्फ प्रवेंद्र व कल्लू को गिरोहबंद अधिनियम के अंतर्गत चालान कर जेल भेजा था। विचारण के दौरान एक आरोपित मिटू उर्फ प्रवेंद्र की मौत हो गई थी, जबकि कल्लू को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।। आरोपित कल्लू जमानत पर बाहर चल रहा था। सोमवार को गैंगेस्टर कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। गैंगेस्टर कोर्ट के जज बाबूराम ने आरोपित कल्लू को पांच साल के कठोर कारावास और 10 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कल्लू को तत्काल ही पुलिस अभिरक्षा में जेल भेज दिया। अभियोजन की ओर से पैरवी अभियोजन अधिकारी संदीप सिंह व विशेष लोक अभियोजक राजेश शर्मा, दिनेश सिंह पुंडीर ने की है।
साक्ष्य के अभाव में नईम धोबी गैंगस्टर के आरोप से बरी
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। वादी के पहचानने से इनकार करने पर कोर्ट ने 31 वर्ष पुराने मुकदमे में चर्चित आरोपित को बरी कर दिया। आरोपित पर हत्या, लूट सहित अन्य मामलों में गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा चल रहा था। उस पर बदमाशों के साथ मिलकर वारदात करने का आरोप रहा है।
नईम धोबी पुत्र बशीर निवासी खालापार पर कुख्यात नफीस कालिया व सलीम तोतला आदि के साथ गैंग बनाकर हत्या, डकैती तथा लूट आदि की घटनाओं को अंजाम देने के आठ मुकदमे दर्ज थे। 1991 में नगर कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी राजपाल सिंह ने उसे गैंगस्टर एक्ट में निरुद्ध कर मुकदमा पंजीकृत किया था। इसके अलावा फार्म से ट्रैक्टर लूटने का प्रयास, पुलिस पार्टी पर कातिलाना हमला, सरवट चौराहे पर हत्या, सभासद की गोली मारकर हत्या, मेरठ में लूट का प्रयास, खालापार में जानलेवा हमले सहित ईद के दिन शफीक की हत्या में मामलों में गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा चल रहा था। मुकदमे की सुनवाई विशेष गैंगस्टर एक्ट कोर्ट के जज एडीजे पांच बाबूराम ने की। अभियोजन पक्ष नईम धोबी के खिलाफ कोई स्वतंत्र साक्षी प्रस्तुत कराने में नाकाम रहा। वहीं एक वादी ने कोर्ट में पेश होकर आरोपित के बारे में याद होने से मना कर दिया। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में नईम धोबी को बरी कर दिया।
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