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    UP News: पहली खुराक लेते ही लापता हो गए 150 से अधिक HIV रोगी, अब विभाग उठाएगा ये कदम

    By Jagran NewsEdited By: Aysha Sheikh
    Updated: Sat, 01 Mar 2025 05:59 PM (IST)

    मुजफ्फरनगर जिला चिकित्सालय से एचआईवी की पहली खुराक लेने के बाद 150 से अधिक मरीज लापता हो गए। विभाग ने इन्हें एलएफयू (लास टू फालोअप) घोषित कर सर्वे शुरू किया है। एआरटी सेंटर पर लगभग 2000 मरीजों का उपचार जारी है। डॉक्टरों के अनुसार एचआईवी मरीजों को जीवनभर दवा लेनी होती है। यह संक्रमित रक्त असुरक्षित यौन संबंध व संक्रमित सुई के इस्तेमाल से फैलता है।

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    जिला चिकित्सालय स्थित एआरटी सेंटर । जागरण

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। जिला चिकित्सालय से पहली खुराक लेने के बाद 150 से अधिक एचआईवी रोगी लापता हो गए। पहले महीने की दवा लेने के बाद वह दोबारा दवा लेने नहीं आए। जिसके चलते विभाग ने ऐसे एचआईवी मरीजों को एलएफयू (लास टू फालोअप) कर दिया है। इनका संपर्क करने पर भी कुछ पता नहीं चल सका है। अब टीम की ओर से सर्वे कराया जा रहा है।

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    स्वामी कल्याण देव राजकीय जिला चिकित्सालय के एआरटी सेंटर पर लगभग दो हजार एचआईवी मरीजों का उपचार चल रहे है। जो नियमित रूप से हर माह दवा लेकर जाते है। लेकिन लगभग 150 मरीज ऐसे हैं, जो लापता हो गए। यह शुरुआत की दवा लेने के बाद फिर नहीं आए। इन मरीजों को विभाग ने एलएफयू कर दिया।

    एआरटी सेंटर के मेडिकल आफिसर डा. मुजिबुर्रहमान ने बताया कि लापता मरीजों को संपर्क किया गया। इसके अलावा अब सर्वे भी कराया जा रहा है। इन मरीजों के घर जाकर उनकी जानकारी ली जाएगी। उन्होंने कहा कि हर मरीज को एक महीने की दवा दी जाती है। बीच-बीच में मरीजों की वायरल लोड टेस्ट भी कराया जाता है। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर दवा चलाई जाती है।

    डा. मुजिबुर्रहमान ने बताया कि एचआईवी के मरीजों को जीवनभर दवा खानी पड़ती है। इसमें टीबी रोग जैसे लक्षण होते है। इसके मुख्य चार लक्षण खांसी, बुखार, वजन कम होना और रात में पसीना आना है। इन्हीं लक्षणों के आधार पर पहले मरीज की आईसीटीसी सेंटर पर तीन तरह की किट से जांच की जाती है।

    इसके बाद अगर मरीज पाजीटिव आता है तो छह महीने की दवा खिलाने के बाद वायरल लोड जांच कराई जाती है। खून की जांच तो जिला चिकित्सालय स्थित आईसीटीसी सेंटर में ही हो जाती है। जबकि वायरल लोड जांच मेरठ भेजी जाती है। जिसकी रिपोर्ट आने में लगभग एक सप्ताह लग जाता है।

    इन कारणों से होता है एचआईवी 

    • असुरक्षित यौन संबंध से
    • संक्रमित रक्त चढा़ने से
    • संक्रमित मां से बच्चे में
    • टैटू गुदवाने में संक्रमित सुईं लगने से
    • संक्रमित रेजर या टूथब्रश साझा करने से

    इन बातों का रखें खास ध्यान

    • सुई या सिरींज साझा न करें।
    • संक्रमित अंग या ऊतकों का ट्रांसप्लांट न ले।
    • सुरक्षित यौन संबंध बनाए

    इन भ्रांतियों से रहें दूर

    • साथ खाना खाने से नहीं फैलता एचआईवी
    • गले लगने से भी एचआईवी नहीं होता
    • देखभाल करने वाले व्यक्ति को कोई डर नहीं
    • हाथ मिलाने या छूने से भी यह नहीं फैलता
    • मच्छर के काटने से एचआईवी नहीं होता
    • एक ही शौचालय के प्रयोग से भी कोई दिक्कत नहीं।