ये नौजवान इंजीनियर प्रकृति पर मोहित
जेएनएन मुजफ्फरनगर। महामारी में आक्सीजन की किल्लत ने प्रकृति से प्रेम करना सिखा दिया है। आधुि

जेएनएन, मुजफ्फरनगर।
महामारी में आक्सीजन की किल्लत ने प्रकृति से प्रेम करना सिखा दिया है। आधुनिक संसाधनों की जरूरत के अलावा लोगों में पौधारोपण का रुझान बढ़ा है। शहर का नौजवान इंजीनियर प्रकृति पर मोहित हो गया है। पौधारोपण के साथ उनकी देखभाल करना उसकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। हरियाली का वजूद किसी तरह कायम हो, वह इसी जद्दोजहद में लगा है।
ब्रहमपुरी निवासी मोहित त्यागी कंप्यूटर नेटवर्किंग में इंजीनियर हैं। डीएवी इंटर कालेज से इंटरमीडिएट किया। एसडी कालेज से ग्रेजुएशन, जबकि दिल्ली में कंप्यूटर नेट वर्किंग का कोर्स किया। इसके बाद वहीं पर एक कंपनी में नौकरी करने लगे। वर्ष 2019 में नौकरी छोड़कर शहर में बस गए और माता-पिता की सेवा के साथ हरियाली से नाता जोड़ लिया। वह पांच वर्ष से पौधरोपण करने में लगे हैं।
शहर में कूकड़ा मंडी, साईंधाम मंदिर, तुलसी पार्क, जीआइसी मैदान के साथ अनेक डिवाइडरों पर पौधरोपण किया है। कहते हैं, पौधरोपण के साथ उनकी सुरक्षा व देखभाल अत्यंत आवश्यक है। अपने दोस्तों, परिचितों को भी पौधरोपण के लिए प्रेरित करते हैं। उनका मानना है कि एक व्यक्ति एक पौधा भी लगाए तो पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा।
पीपल, बरगद और नीम पहली पसंद
मोहित कहते हैं कि पौधारोपण में उनकी पहली पसंद नीम, पीपल व बरगद रहता है। जामुन, बकान के साथ छायादार वृक्ष शामिल हैं। लाकडाउन लगा है, ऐसे में पेड़-पौधों की सेवा के लिए वह दिन-रात सड़कों पर रहते हैं। सामान्य दिनों में भी पौधों में पानी डालना उनकी दिनचर्या में शामिल है। जितना प्राकृति से प्रेम किया जाएगा, यह उतना ही जीव-जंतुओं के लिए लाभकारी बनती जाएगी।
स्वयं तैयार करते हैं पौध
नई मंडी क्षेत्र के कूकड़ा में मोहित स्वयं कलम काटकर पौध तैयार करते हैं। खाद की व्यवस्था पंचेड़ा, नई मंडी की गोशाला से करते हैं। गाय के गोबर से बनी खाद प्रयोग करते हैं। वह अनेक पौध तैयार कर चुके हैं।
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