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    Atul Kumar: 18 घंटे की पढ़ाई, नींद और खाने के समय लेता था ब्रेक; अब सरकार उठाएगी आईआईटी धनबाद का पूरा खर्च

    Updated: Wed, 02 Oct 2024 09:50 PM (IST)

    मुजफ्फरनगर के अतुल कुमार ने दूसरे प्रयास में आईआईटी प्रवेश परीक्षा पास की है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय कड़ी मेहनत और नकारात्मकता को दूर रखने को दिया है। अतुल ने बताया कि वह प्रतिदिन लगभग 18 घंटे पढ़ाई करते थे और सिर्फ नींद व खाने के समय ही पढ़ाई पर ब्रेक लगाते थे। उन्होंने कहा कि आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए नकारात्मकता को त्यागना जरूरी है।

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    मुजफ्फरनगर के अतुल कुमार - फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। प्रतिभाशाली छात्र अतुल कुमार ने आइआइटी की प्रवेश परीक्षा के लिए कठिन तप किया। प्रतिदिन लगभग 18 घंटे की पढ़ाई करते थे और सिर्फ नींद व खाने के समय ही पढ़ाई पर ब्रेक लगाते थे। वह कहते हैं कि आइआइटी की प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए नकारात्मकता को त्यागना जरूरी है, इसे हावी न होने दें।

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    गांव टिटौड़ा निवासी अतुल कुमार ने बताया कि आइआइटी की प्रवेश परीक्षा के लिए 11 महीने तक कानपुर के कोचिंग संस्थान से तैयारी की थी। तब वह प्रतिदिन 18 घंटे पढ़ाई करते थे। कहा कि यदि आप सोचते हैं कि आईआईटी प्रवेश परीक्षा कठिन है, तो यह वास्तव में कठिन है और यदि इसे आसान परीक्षा मानते हैं, तो यह आसान है।

    आइआइटी में दूसरे प्रयास में प्रवेश परीक्षा पास की। अतुल ने कहा कि कठिनाइयों से कोई अछूता नहीं है। प्रवेश परीक्षा के अभ्यर्थियों को किसी भी तरह के दबाव में आत्महत्या जैसा विचार मन में नहीं लाना चाहिए। क्योंकि एक अवसर समाप्त होता है, तो दूसरा खुल जाता है। अतुल की रसायन विज्ञान में रुचि है और डा. बीआर आंबेडकर को आदर्श मानते हैं।

    ट्रेन से जाएंगे धनबाद, गुरुवार को कराएंगे टिकट बुकिंग : राजेंद्र

    छात्र अतुल के पिता राजेंद्र ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से आदेश के बारे में अधिवक्ता अमोल चितले से फोन पर वार्ता हो गई है। वह ट्रेन से अतुल को साथ लेकर धनबाद जाएंगे। गुरुवार को ट्रेन की टिकट बुकिंग कराएंगे। बुधवार को भी आनलाइन चेक किया था, लेकिन टिकट बुकिंग नहीं हो सकी।

    राजेंद्र ने बताया कि प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री असीम अरुण से बुधवार पूर्वाह्न फोन पर बात हुई थी, उन्होंने कहा कि अतुल की पढ़ाई का खर्च प्रदेश सरकार उठाएगी। राजेंद्र ने बताया कि अतुल की पढ़ाई के लिए अपनी 1.5 बीघा जमीन बेचने का मन बना लिया था। शुक्र है कि अब ऐसी स्थिति नहीं रहेगी। इसके लिए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का बहुत बहुत धन्यवाद।