थाल में सजे थे 31 लाख, दूल्हे ने कहा-सिर्फ एक रुपया लूंगा... और कर ली शादी
मुजफ्फरनगर के नगवा गांव में अवधेश राणा ने दहेज के खिलाफ मिसाल कायम की। शादी में वधू पक्ष द्वारा दिए जा रहे 31 लाख रुपये के दहेज को ठुकरा कर, उन्होंने सिर्फ एक रुपया स्वीकार किया। अवधेश ने दहेज प्रथा को समाप्त करने की अपील करते हुए कहा कि यह समाज के लिए अभिशाप है। उनका परिवार भी उनके इस फैसले में साथ था।

तिलक की रस्म के दौरान हाथ जोड़कर 31 लाख रुपये लेने से इन्कार करते अवधेश राणा। जागरण
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। एक तरफ वो लोग हैं, जो दहेज के लिए महिलाओं का उत्पीड़न करते हैं, वहीं नगवा गांव के अवधेश राणा ने ऐसी मिसाल पेश की, जिसकी लोग खूब सराहना कर रहे है। शादी समारोह के दौरान जब वधू पक्ष ने तिलक की रस्म करते समय थाल में सजाकर 31 लाख रुपये देने चाहे, तो अवधेश राणा ने हाथ जोड़कर कहा कि सिर्फ एक रुपया चाहिए। उनके परिवार ने भी अवधेश के निर्णय का समर्थन किया और दहेज में 31 लाख रुपये लेने से साफ इन्कार कर दिया।

यह विवाह गत 22 नवंबर को मुजफ्फरनगर में रुड़की रोड स्थित राजमहल फार्म में संपन्न हुआ था। 26 वर्षीय दूल्हा अवधेश राणा बुढ़ाना क्षेत्र के गांव नगवा का रहने वाला है। 24 वर्षीय दुल्हन अदिति सिंह मूलरूप से सहारनपुर जिले के देवबंद क्षेत्र के गांव भायला की रहने वाली हैं। अदिति के पिता सुनील पुंडीर मंसूरपुर शुगर मिल में नौकरी करते थे। उनकी कोरोना महामारी के दौरान मृत्यु हो गई थी। उसके बाद से अदिति सिंह अपने नाना सुखपाल सिंह के साथ मुजफ्फरनगर के गांव शाहबुद्दीनपुर में रहती हैं, जबकि अदिति की मां सीमा पुंडीर व छोटा भाई अभिनव पुंडीर गांव भायला में ही रहते हैं। अदिति ने मुजफ्फरनगर से एमएससी की है।
अवधेश ने बताया कि मामा राजेंद्र पुंडीर निवासी गांव बामनहेड़ी ने उनका रिश्ता अदिति सिंह से तय कराया। उनके पिता हरवीर सिंह ने पहले ही कह दिया था कि यह रिश्ता एक रुपये का होगा। 22 नवंबर को शादी समारोह हुआ, तो वधू पक्ष के लोग अपनी मर्जी से तिलक के दौरान 31 लाख रुपये देने लगे, लेकिन हमने स्पष्ट मना कर दिया। अवधेश ने कहा कि दहेज प्रथा बहुत बुरी है। यह पूरी तरह बंद होनी चाहिए। युवाओं से अपील है कि वे बगैर दान-दहेज के ही शादी करें, क्योंकि बच्चों की शादी में मांग पूरी करने के लिए माता-पिता कर्ज तक लेते हैं और जमीन बेचने की नौबत तक आ जाती है। इसलिए दहेज न तो मांगना चाहिए और न लेना चाहिए।
साधन-संपन्न है अवधेश का परिवार
अवधेश राणा का परिवार साधन संपन्न है। परिवार के पास लगभग 200 बीघा कृषि भूमि है। अवधेश ने बताया कि उन्होंने एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग की पढ़ाई दिल्ली के एआइईईई कालेज से की है। वर्ष 2014 में पतंजलि की डिस्ट्रीब्यूटरशिप ली। बड़े भाई वीरप्रताप राणा के साथ मिलकर तब से यही कारोबार कर रहे हैं। शामली और बागपत में उत्पादों की सप्लाई करते हैं।
ये निर्णय मेरा और परिवार का सामूहिक है
दहेज में मिल रहे 31 लाख रुपये ठुकराने के निर्णय को लेकर अवधेश राणा कहते हैं कि यह अकेले मेरा ही निर्णय नहीं, बल्कि पूरे परिवार का सामूहिक निर्णय है। जब रिश्ता तय हो रहा था, तभी पिता हरवीर सिंह ने स्पष्ट कर दिया था कि एक रुपये का रिश्ता है।

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