है कोई देखने वाला? गंगा किनारे बना दिया कचरे का पहाड़, बरसात में यही नहर में घुलेगा; हवा के साथ भी उड़ रहा
जानसठ में गंगा नहर के किनारे कचरे का ढेर लगने से प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है। मुजफ्फरनगर शहर से लाया गया कूड़ा नहर के किनारे डाला जा रहा है जिससे वायु प्रदूषण फैल रहा है और छात्रों तथा ग्रामीणों को दुर्गंध का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी इसे किसान की निजी जमीन बताकर कार्रवाई से बच रहे हैं।
संवाद सूत्र, जानसठ (मुजफ्फरनगर)। एक तरफ प्रशासन पर्यावरण संरक्षण की बातें करता है, शुकतीर्थ में बाण गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने का अभियान चलाया है, लेकिन सिखेड़ा क्षेत्र में गंग नहर के अविरल पानी में जहर घोलने की तैयारी कर ली गई है।
यहां भराव के नाम पर गंग नहर के किनारे कचरे का पहाड़ बना दिया गया है। इससे जहां वायु प्रदूषण फैल रहा है, तो भविष्य में बरसात के दिनों में यही कचरा बहकर गंग नहर को भी प्रदूषित करेगा। ताज्जुब तो यह है कि अधिकारी दलील दे रहे हैं कि किसान ने अपने खेत में भराव कराया है, हम कैसे रोक सकते हैं।
सिखेड़ा क्षेत्र के पानीपत-खटीमा राष्ट्रीय राजमार्ग पर नंगला मंदौड़ गांव के बाहर किसान इंटर कालेज है। इसी के सामने गंग नहर के बराबर में कूड़े का पहाड़ लग गया है। यह कूड़ा मुजफ्फरनगर शहर से किसी फैक्ट्री से लाकर डाला गया है। इसकी वजह से वायु प्रदूषण फैल रहा है।
किसान इंटर कालेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भी दुर्गंध का सामना करना पड़ रहा है। कचरे के ढेर से हवा में उड़कर गंदी पन्नी और मिट्टी गंग नहर में पहुंच रही हैं। साथ ही क्षेत्र में क्षेत्र वासियों को दुर्गंध के साथ-साथ बीमारियों का खतरा भी बना हुआ है। आसपास के किसानों को दुर्गंध की वजह से अपने खेतों में काम करना भी दुश्वार हो रहा है।
एसडीएम जानसठ जयेंद्र सिंह का कहना है कि किसान ने अपने खेत में भराव कराया है, किसी को भराव करने से नहीं रोका जा सकता है। यदि सरकारी जमीन में कचरा डाला जाता है, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, खंड विकास अधिकारी विशाखा ने कहा कि यह किसान की निजी जमीन है। भराव करना उसका निजी मामला है।
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