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    परिवार ही व्यक्ति की प्रथम पाठशाला

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 20 Jun 2021 11:36 PM (IST)

    श्रीराम कालेज के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने पारिवारिक संरचना की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका विषय पर आनलाइन वेबिनार का आयोजन किया। इसमें परिवार की परिभाषा पर विचार व्यक्त किए गए।

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    परिवार ही व्यक्ति की प्रथम पाठशाला

    जेएनएन, मुजफ्फरनगर। श्रीराम कालेज के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने 'पारिवारिक संरचना की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका' विषय पर आनलाइन वेबिनार का आयोजन किया। इसमें परिवार की परिभाषा पर विचार व्यक्त किए गए।

    कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सुनील कुमार आर्य ने कहा कि परिवार सदस्यों का समाजीकरण करता है। इसके साथ ही सामाजिक नियंत्रण का कार्य भी करता है, क्योंकि सभी नातेदार संबंधों की मर्यादा से बंधे होते हैं। एक अच्छे परिवार में अनुशासन और आजादी दोनों होती है। परिवार मनुष्य के जीवन का बुनियादी पहलू है। व्यक्ति का निर्माण और विकास परिवार में ही होता है। समाज में परिवार के दो स्वरूप पाए जाते हैं, एकल परिवार और संयुक्त परिवार। एकल परिवार पश्चिमी देशों की सभ्यता है, जिसमें दंपती अपने बच्चों के साथ निवास करते हैं। उन्होंने कहा कि हिदू धर्म के अनुसार संयुक्त परिवार एक ऐसी संस्था है, जिससे व्यक्तियों की अनेक समस्याओं का समाधान होता है। इसमें पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष रवि गौतम ने कहा कि समाज में बच्चों का जन्म और पालन परिवार में ही होता है। बच्चों को संस्कार देने और समाज के आचार-व्यवहार सिखाने का कार्य मुख्य रूप से परिवार का ही होता है। इसके माध्यम से समाज की सांस्कृतिक विरासत एक से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होती है। परिवार ही व्यक्ति की प्रथम पाठशाला होती है। उन्होंने कहा कि भारतीय परिवार की मर्यादाएं और आदर्श परंपरागत हैं। वेबिनार में श्रीराम कालेज के सभी संकायों से प्रवक्तागण तथा छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की प्रवक्ता वैशाली गर्ग, शिवानी बर्मन आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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