अमेरिकन बुल को थी रक्त की जरूरत...देशी फीमेल डाग काली से मिला खून, तब बच सकी जान
मुजफ्फरनगर में पहली बार कुत्तों में खून का आदान-प्रदान हुआ। एक देसी डाग काली के खून से अमेरिकन बुल नस्ल की एंजल्स की जान बचाई गई। एंजल्स एनीमिया से पीड़ित थी और उसे खून की सख्त जरूरत थी। कैट एवं डाग क्लीनिक के डाक्टर शुभम चौधरी ने बताया कि यह जनपद में पहली बार हुआ है। पशु चिकित्साधिकारी ने इसे जीव संवेदना का पहलू बताया।

मुजफ्फरनगर के आयुष्मान क्लीनिक पर स्वान का खून निकालते कर्मी व मौके पर मौजूद अमेरिकन बुल एंजल्स। सौ. फाउंडेशन
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। जनपद में पहली बार जानवरों के खून का आदान-प्रदान हुआ है, जिसमें देशी नस्ल की फीमेल के खून से अमेरिकन बुल नस्ल की फीमेल की जान बचाई गई। अमेरिकन बुल पिछले डेढ़ माह से गंभीर बीमारी थी और खून की कमी के कारण एनीमिया का शिकार हो गई थी।
कैट एवं डाग आयुष्मान क्लीनिक के चिकित्सक डा. शुभम चौधरी ने बताया कि अमेरिकन बुल एंजल्स का स्वास्थ्य परीक्षण करने पर उसका हीमोग्लोबिन स्तर केवल तीन प्वाइंट पाया गया। इस स्थिति में उसे खाना पचाने में कठिनाई हो रही थी और उल्टियां हो रही थीं। जान बचाने के लिए रक्त की आवश्यकता थी। कुत्ता मालिक प्रहलाद कुमार ने अर्जुन फाउंडेशन के दीपक पंघाल से संपर्क किया, जिन्होंने स्ट्रीट डाग काली का खून उपलब्ध कराया। काली का रक्त एंजल्स के लिए उपयुक्त पाया गया।
चार कुत्तों का लिया था ब्लड सैंपल, एक से हुआ मिलान
डा. शुभम चौधरी ने बताया कि एंजल्स का ब्लड ग्रुप डीईए 1.1 पाजीटिव है। उसको ब्लड चढ़ाने के लिए प्रहलाद ने अपने उन परिचितों से संपर्क किया, जो कुत्ता पालते हैं।
गांधी कालोनी निवासी सावन के घर पर पाले देशी नस्ल के चार कुत्तों का ब्लड सैंपल लिया गया। उनमें से एक फीमेल काली का ब्लड सैंपल मैच कर गया। डा. शुभम ने बताया कि कुत्ता पालकों की सहमति होने के चलते इसमें प्रशासनिक स्तर पर किसी तरह की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

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