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गन्ना के साथ सहफसली में पपीता के कायल हो गए डॉ. बक्शीराम

डॉ. बक्शीराम ने तितावी में किया गन्ने के खेतों का निरीक्षण। गन्ना प्रजाति को-0238 के जनक हैं डॉ. बक्शीराम।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 12:02 AM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 12:02 AM (IST)
गन्ना के साथ सहफसली में पपीता के कायल हो गए डॉ. बक्शीराम

मुजफ्फरनगर : शुगरकेन ब्री¨डग इंस्टीट्यूट, कोयंबटूर के निदेशक एवं गन्ना प्रजाति को-0238 के जनक डॉ. बक्शीराम करनाल जाते समय तितावी गांव में प्रगतिशील कृषक उमेश कुमार के यहां पहुंचे। किसानों ने उनका भव्य स्वागत किया। किसानों के यहां गन्ना प्रजाति 0238 का निरीक्षण किया। गन्ने के साथ सहफसली के रूप में पपीता और केला की फसल को देखकर कायल हो गए। बोले कि उन्होंने गन्ने के साथ पपीता पहली बार देखा है। यह शोध का विषय है।

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उन्होंने कहा कि गन्ना प्रजाति को. 0238 उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड व बिहार में प्रति इकाई गन्ने की अधिकतम उपज और चीनी परता देने वाली है। डॉ. बक्शीराम ने कहा कि गन्ने के साथ सहफसली के रूप में पपीते की खेती को पहली बार देखा है। यह शोध का विषय है। गन्ना और पपीता की सहफसली खेती से कृषक को प्रति बीघा 40-42 हजार रुपये की आमदनी हो रही है। यह सामान्य गन्ने की खेती से चार गुना अधिक है। किसान उमेश ने गन्ने के साथ सहफसल के रूप में केले को भी लिया है, जो किसानों की आमदनी दोगुना करने का एक सर्वोत्तम विकल्प हो सकता है।

तितावी गांव में आयोजित विचार गोष्ठी में डॉ. बक्शी राम ने कहा कि किसान गन्ना प्रजाति 0238 को कीट और बीमारी से बचाकर रखें तो यह गन्ना प्रजाति किसानों के लिए वर्षो तक उपयोगी साबित होगी। यदि गन्ने से अधिकतम उपज प्राप्त करनी है तो किसान को गन्ना बुवाई का समय अक्टूबर या फरवरी-मार्च तय करना होगा। लाइनों की दूरी कम से कम पांच फुट करनी होगी। गन्ने की बुवाई ट्रेंच विधि से करनी होगी जिससे उन्हें दवा का छिड़काव आदि कार्यो में सहूलियत के साथ अधिक उपज प्राप्त होगी। इसके बाद उन्होंने भूमेश, सुबोध, सचिन, महिपाल व उत्तम के किसानों की गन्ना फसल को भी देखा। डॉ. बक्शी राम के साथ गन्ना शोध केंद्र के संयुक्त निदेशक डॉ. वीरेश ¨सह, जिला गन्ना अधिकारी डॉ. आरडी द्विवेदी व ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक तितावी अरुण कुमार उपस्थित रहे।


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